कृषि विज्ञान केंद्र: खेती की नई दिशा और किसानों के लिए समाधान
कृषि विज्ञान केंद्र कृषि विज्ञान केंद्र, एक सरकारी या सार्वजनिक संस्थान है जो किसानों को फसल उत्पादन, मौसम के अनुकूलन और आधुनिक खेती की तकनीकों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी देता है। ये केंद्र बस एक ऑफिस नहीं हैं—ये किसानों के लिए जीवन बचाने वाले समाधान का केंद्र हैं। जब चक्रवात 'मोंथा' छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को रोक देता है और फसलों को खतरे में डाल देता है, तो यहीं से जानकारी आती है कि कौन सी फसलें कम संवेदनशील हैं, कैसे बारिश के बाद जमीन को बचाएं, और किस दिन बुआई करनी चाहिए।
इन केंद्रों का काम सिर्फ बारिश की भविष्यवाणी नहीं करना। वे फसल, खेती के लिए उगाई जाने वाली पौधों की प्रजातियाँ, जैसे गेहूँ, चावल, तिलहन या बाजरा, जिनकी उपज और बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन किया जाता है के प्रकारों को बदलते हैं। जब मध्य प्रदेश में नवंबर तक ऑरेंज-पीला अलर्ट जारी होता है, तो ये केंद्र तुरंत बताते हैं कि गेहूँ की फसल को कैसे सुरक्षित रखें, किस दवा का उपयोग करें, और क्या बारिश के बाद फसल को बचाने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे। ये केंद्र मौसम अलर्ट, भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा जारी किए गए चेतावनी संकेत, जो बारिश, हवा या तापमान में तेज बदलाव के लिए जारी किए जाते हैं को समझने में भी मदद करते हैं। जब दिल्ली-NCR में येलो-ऑरेंज अलर्ट आता है, तो किसानों को यही जानकारी मिलती है कि उनकी फसलें कितनी खतरे में हैं और क्या करना है।
ये केंद्र सिर्फ तकनीकी जानकारी नहीं देते—वे किसानों के साथ बैठकर बात करते हैं। जब छत्तीसगढ़ सरकार IAS अधिकारियों को शाफ़ल करती है, तो उनमें से कई कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ काम करते हैं। वे बताते हैं कि कौन से जिलों में बारिश कम हो रही है, कौन सी फसलें अब लाभदायक हैं, और किस तरह के बीज या खाद का उपयोग करना चाहिए। आजकल ये केंद्र अपने अनुसंधान को सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स के जरिए भी पहुँचाते हैं। जब आपको लगता है कि आपकी फसल बर्बाद हो रही है, तो यहीं से एक संकेत मिलता है कि यह बर्बादी बारिश की वजह से है या कीटों की वजह से।
इस लिस्ट में आपको ऐसे ही असली कहानियाँ मिलेंगी—जहाँ कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को बचाया, फसलों को बचाया, और मौसम के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये सिर्फ खबरें नहीं, ये जीवन बचाने वाली जानकारी हैं।
PM Kisan के लिए वेरिफिकेशन कैंप गांवों में तेजी से चल रहे हैं। 1 अप्रैल 2026 तक रजिस्ट्रेशन पूरा नहीं किया तो अगली किस्त नहीं मिलेगी। शिवराज सिंह चौहान ने KVKs और किसान सखियों को अपने लक्ष्य की रफ्तार बढ़ाने का निर्देश दिया।