ITR छूट: क्या है, क्यों चाहिए और कैसे मिलती है
जब हम ITR छूट, आयकर रिटर्न में मिलने वाली विशिष्ट राहत जो करदाता को दंड और ब्याज से बचाती है की बात करते हैं, तो सबसे पहले समझना जरूरी है कि यह आयकर रिटर्न, वर्ष भर की आय को सरकार के साथ सही रूप में दर्ज करने की वार्षिक प्रक्रिया का हिस्सा है। अक्सर लोग सोचते हैं कि छूट केवल उच्च आय वालों को मिलती है, लेकिन टैक्स छूट, कानूनी रूप से निर्धारित आय में कटौतियों से कर की देयता घटने की सुविधा सभी वर्गों के लिए लागू होती है, बशर्ते नियमों को सही समय पर फॉलो किया जाए। यही कारण है कि ITR छूट को समझना, समयसीमा जानना और सही दस्तावेज़ तैयार करना बेहद जरूरी है।
ITR छूट के प्रमुख पहलू
ITR छूट तीन मुख्य घटकों पर आधारित है: पहला टैक्स डिडक्शन, किसी भी आय से कर योग्य भाग घटाने की प्रक्रिया, दूसरा दण्ड‑मुक्ति की शर्तें, और तीसरा फाइलिंग‑डेडलाइन का पालन। टैक्स डिडक्शन सीधे ITR छूट को बढ़ाता है, क्योंकि जितना ज्यादा कटौती आप कर योग्य आय से निकालेंगे, उतनी ही छूट की संभावनाएँ बढ़ेंगी। दूसरी ओर, दण्ड‑मुक्ति केवल तब मिलती है जब आयकर रिटर्न निर्धारित तिथियों के भीतर दाखिल किया जाए; देर से फाइलिंग पर 1% प्रति माह का दण्ड लग सकता है, जो कुल टैक्स बिल को काफी बढ़ा देता है। इसलिए समयसीमा ही ITR छूट के दो‑तीन मायनों को जोड़ती है: डिडक्शन, छूट और दण्ड‑रोकथाम।
कौन ITR छूट के योग्य है? मुख्य तौर पर दो वर्गीकरण होते हैं – गैर‑ऑडिट वाले व्यक्तिगत करदाता और ऑडिट वाले व्यवसायिक इकाइयाँ. गैर‑ऑडिट करदाताओं को 31 जुलाई से 16 सितंबर तक फाइलिंग का विस्तार मिला है, जबकि ऑडिट वाले को 31 अक्टूबर तक ही इंतजार करना पड़ता है। यह अंतर ITR छूट के दायरे को तय करता है क्योंकि ऑडिट वाले अक्सर अतिरिक्त दस्तावेज़ीकरण और जाँच के कारण देर से दाखिल करने के जोखिम में होते हैं। साथ ही, आय की सीमा, निवेश योजना (जैसे जीरो‑टैक्स बचाव, सेक्शन 80C, 80D) और पात्रता वाले खर्च (शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह‑ऋण) सभी ITR छूट को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व हैं। इन सबको तालमेल से समझना आपको टैक्स बचाव की रणनीति बनाने में मदद करेगा।
व्यावहारिक तौर पर ITR छूट हासिल करने के लिए पाँच कदम फॉलो करें: 1) अपनी आय‑सम्पूर्ण रिपोर्ट तैयार करें, जिसमें वेतन, फ़्रीलांस, किराया आदि सभी स्रोत शामिल हों। 2) उपलब्ध टैक्स डिडक्शन (सेक्शन 80C‑80U) की पूरी लिस्ट बनाकर दस्तावेज़ीकरण कर रखें। 3) निर्धारित फाइलिंग‑डेडलाइन को कैलेंडर में नोट करें, ताकि देर से फाइलिंग का जोखिम न रहे। 4) ऑनलाइन पोर्टल (आयकर.भारत) पर प्री‑फ़िल्ड ITR फॉर्म भरें, उसमें छूट के सेक्शन को विशेष रूप से चेक करें। 5) सबमिशन के बाद ए‑डिट नोटिस या रिटर्न‑वेरिफिकेशन के लिए तैयार रहें, क्योंकि यह भी छूट के अधिकार को सुरक्षित रखता है। इन कदमों को सिस्टमेटिक रूप से अपनाने से आप न केवल ITR छूट का लाभ उठाएंगे, बल्कि भविष्य में टैक्स दण्ड से भी बचेंगे।
अब नीचे दी गई लेखों की सूची में आप टैक्स‑डिडक्शन के विस्तृत तरीके, विभिन्न आय‑श्रेणियों के लिए ITR छूट की विशिष्ट शर्तें और दण्ड‑मुक्ति के नवीनतम अपडेट पाएँगे। ये सामग्री आपके कर‑जागरूकता को और गहरा करेगी और सीधे आपके सवालों का जवाब देगी, चाहे आप पहली बार फाइल कर रहे हों या seasoned करदाता हों।
आगामी आयकर वर्ष 2025‑26 में म्यूचुअल फंडों पर दीर्घकालिक पूँजी लाभ (LTCG) कर छूट की सीमा बदल गई है। नई नियमावली में कब और कितनी आय पर छूट मिलेगी, तथा ITR में क्या‑क्या रिपोर्ट करना जरूरी है, यह लेख विस्तार से बताता है। पढ़िए कैसे आपका निवेश कर‑बचत में बदल सकता है।