
दीर्घकालिक पूँजी लाभ कर (LTCG) छूट की नई सीमा
वित्तीय वर्ष 2025‑26 में म्यूचुअल फंड इक्विटी‑लोकस्मार्ट (EQ) या इक्विटी‑हाइब्रिड स्कीम से मिलने वाले LTCG पर नई छूट सीमा लागू हुई है। पहले के ₹1 लाख की छूट अब बढ़ाकर ₹2 लाख कर दी गई है, जिससे सालाना ₹2 लाख तक का लाभ कर‑मुक्त रहेगा। इस लाभ का लाभ तभी मिलेगा जब फंड यूनिट्स को दो वर्ष से अधिक समय तक धारण किया गया हो।
निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि आप कई फंडों में निवेशित हैं, तो सभी फंडों के LTCG को मिलाकर कुल राशि ₹2 लाख तक ही छूट योग्य होगी। इस सीमा से ऊपर की किसी भी राशि पर 10% कर लगेगा, लेकिन यह कर केवल इस वर्ष के आयकर रिटर्न में दिखाना होगा।

ITR फाइलिंग में नई रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ
नई कर नियमावली के अनुसार, जब आपका कुल LTCG ₹2 लाख से अधिक हो, तो आपको ITR छूट की जानकारी ITR‑1 (Sah) या ITR‑2 फॉर्म में भरनी होगी। रिपोर्टिंग में दो मुख्य बिंदु हैं:
- अधिकतम LTCG राशि का उल्लेख Schedule C में, साथ ही कर योग्य हिस्सा (10% के साथ) भी।
- फंड इक्विटी‑हाइब्रिड या इक्विटी‑कटऑफ़ के तहत किए गए सभी इक्विटी ट्रांसैक्शन का विवरण Schedule S में शामिल करना अनिवार्य है।
यदि आप FY 2025‑26 में म्यूचुअल फंड में बार‑बार ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो ट्रेडिंग‑ऑफ़‑जैविका (TD) के तहत TDS कटौती भी लागू हो सकती है। ऐसी स्थिति में TDS रिटर्न फॉर्म 26AS में दिखना चाहिए, अन्यथा आयकर विभाग अतिरिक्त जांच कर सकता है।
विशेष रूप से एजीआर (अग्रिम कर) की आवश्यकता तब उत्पन्न होगी, जब आपका कुल कर योग्य आय ₹10 लाख से अधिक हो। इस स्थिति में आप 15% एजीआर दर पर अनुमानित कर भुगतान कर सकते हैं, जिससे आयकर रिटर्न फाइल करने के समय दण्ड से बचा जा सके।
अंत में, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी पोर्टफोलियो ट्रैकिंग शीट में हर फंड यूनिट की खरीद‑विक्री तारीख, राशि, और लागू कर दरें नोट करें। इससे ITR भरते समय गलती की संभावना काफी घट जाएगी और कर बचत का पूरा फायदा उठाया जा सकेगा।