तिरुपति लड्डू विवाद: वरिष्ठ अधिकारी ने परीक्षण सुविधाओं की कमी को जिम्मेदार ठहराया, घी आपूर्तिकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी

तिरुपति लड्डू विवाद: वरिष्ठ अधिकारी ने परीक्षण सुविधाओं की कमी को जिम्मेदार ठहराया, घी आपूर्तिकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी
21 सितंबर 2024 Anand Prabhu

तिरुपति लड्डू विवाद: वरिष्ठ अधिकारी ने परीक्षण सुविधाओं की कमी को जिम्मेदार ठहराया

तिरुपति लड्डू, जो प्रसाद के रूप में भेंट किए जाते हैं और अनगिनत भक्तों द्वारा श्रद्धा से ग्रहण किए जाते हैं, एक गंभीर विवाद में उलझ गए हैं। इससे संबंधित विवाद तब उभरा जब इस घी में पशु वसा की मौजूदगी के आरोप सामने आए। इस मुद्दे को लेकर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने एक गंभीर बयान दिया है।

राव ने कहा है कि घी आपूर्तिकर्ताओं ने टीटीडी के अंदर परीक्षण सुविधाओं की कमी का फायदा उठाते हुए घटिया गुणवत्ता का घी आपूर्ति किया। इस घी के नमूनों की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि उनमें पशु वसा और चरबी की मौजूदगी है। इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए, टीटीडी ने घी की आपूर्ति को रोकने का फैसला लिया है और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

इन-हाउस परीक्षण की कमी

राव ने स्पष्ट किया कि इन-हाउस लैब की कमी और बाहरी परीक्षण सुविधाओं की अधिक दरों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। टीटीडी, जो कि भगवान वेंकटेश्वर के इस प्रसिद्ध मंदिर का संचालन करती है, हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। इस धार्मिक स्थल की पवित्रता और प्रतिष्ठा को बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और आरोप

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पहले इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की थी और यह भी कहा था कि लड्डुओं में पशु वसा की शिकायतें मिल रही हैं। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने नायडू पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे का इस्तेमाल अपने शासन के 100 दिनों की उपलब्धियों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं।

एआर डेयरी, जो तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति करती है, ने अपने उत्पाद की गुणवत्ता का बचाव करते हुए कहा कि सभी डिलीवरी के साथ प्रमाणित लैब रिपोर्ट भी होती हैं जो गुणवत्ता की पुष्टि करती हैं। हालांकि, टीटीडी की जांच रिपोर्ट ने एआर डेयरी के इन दावों को नकार दिया, और नमूनों में पशु वसा और चरबी की उपस्थिति पाई गई।

आपूर्तिकर्ताओं पर कार्रवाई और जांच

टीटीडी ने इस पर कदम उठाते हुए आपूर्तिकर्ताओं पर दंड लगा रही है और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर रही है। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी इस मामले की जांच की मांग की है।

यह विवाद इस धार्मिक स्थल की पवित्रता और भक्तों की धार्मिक भावनाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करता है। लोगों के विश्वास को बनाए रखना मंदिर प्रशासन के लिए बेहद जरूरी है। जो भक्त अपने विश्वास और श्रद्धा के साथ यहां आते हैं, उन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े, इसके लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे।

अब देखना यह है कि जांच के परिणाम क्या आते हैं और घी की गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाती है। इस मुद्दे पर प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई किस दिशा में जाती है, यह भी देखने वाली बात होगी। इस प्रकार की घटनाएं न केवल धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में धार्मिक सद्भावना पर भी सवाल खड़ा करती हैं।

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7 टिप्पणि

Gurjeet Chhabra
Gurjeet Chhabra सितंबर 21, 2024 AT 15:38

भक्तों को भरोसा नहीं मिलेगा अगर घी में पशु वसा मिले।

AMRESH KUMAR
AMRESH KUMAR अक्तूबर 12, 2024 AT 11:38

देश की शान है तिरुपति, ऐसी घिसी-पिटी चीज़ें बहेन नहीं करनी चाहिए :)

ritesh kumar
ritesh kumar नवंबर 2, 2024 AT 07:38

परीक्षण की कमी को दिखावा मानना सिर्फ़ एक ढांचा है जो बड़ी सत्तावादी योजना का हिस्सा हो सकता है। ये घी आपूर्तिकर्ता शायद बाहरी एजेंटों के दबाव में काम कर रहे हैं। इस तरह की छिपी हेराफेरी को उजागर करने के लिये हमें गुप्त दस्तावेज़ों की ज़रूरत पड़ेगी। अंत में, यह सब सत्ता का खेल है।

Raja Rajan
Raja Rajan नवंबर 23, 2024 AT 03:38

सत्कार्य की परवाह किए बिना पारदर्शिता की माँग करना बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है। आधिकारिक जांच में धरातल पर कदम रखने की आवश्यकता है। केवल शब्द नहीं, कार्रवाई चाहिए।

Atish Gupta
Atish Gupta दिसंबर 13, 2024 AT 23:38

तिरुपति लड्डू का धार्मिक महत्व को देखते हुए किसी भी प्रकार की असुरक्षा को तुरंत नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
यदि परीक्षण सुविधाओं की कमी को सरल कारण मान कर प्रशासन आसन्न कार्रवाई को टालता रहेगा तो विश्वसनीयता में दाँव लगेगा।
यह आवश्यक है कि बाहरी लैबों के साथ मिलकर एक मानकीकृत प्रोटोकॉल स्थापित किया जाए जिससे नमूनों की सटीकता सुनिश्चित हो।
इसके अलावा, आपूर्तिकर्ता चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाकर घी की शुद्धता को दृढ़ता से जांचा जाना चाहिए।
एक बहु-स्तरीय ऑडिट प्रणाली लागू करने से संभावित धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी।
मौजूदा रिपोर्टों में यह स्पष्ट दिखता है कि पशु वसा के मिश्रण से न केवल धार्मिक भावना धूमिल होती है बल्कि स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस संदर्भ में, राष्ट्रीय खाद्य मानकों के अनुरूप सख्त दंडात्मक प्रावधानों को सक्रिय करने की सिफ़ारिश की जाती है।
साथ ही, स्थानीय संयोजकों को भी प्रशिक्षण देना आवश्यक है ताकि वे पहले से ही संभावित दोषों को पहचान सकें।
डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में हर कदम का रिकॉर्ड रखना पारदर्शिता बढ़ाएगा।
अगर सरकार तेज़ी से कदम नहीं उठाती तो यह मामला अन्य धार्मिक संस्थानों में भी असर डाल सकता है।
इसलिए, त्वरित समाधान के लिए एक अंतर-सरकारी समिति बनाना आवश्यक है जो नियमित रूप से समीक्षा कर सके।
लड्डुओं की शुद्धता को संरक्षित रखने के लिए न केवल परीक्षण बल्कि उत्पादन प्रक्रिया की भी गहरी जांच की जानी चाहिए।
यह व्यापक दृष्टिकोण न केवल विश्वास को पुनर्स्थापित करेगा बल्कि भविष्य में समान विवादों को रोकने में भी सहायक होगा।
अंत में, सभी हितधारकों को मिलकर इस समस्या का सामूहिक समाधान निकालना चाहिए ताकि भक्तजन का भरोसा बना रहे।
यही सच्ची सामाजिक सद्भावना का मूल सिद्धांत होगा।

Aanchal Talwar
Aanchal Talwar जनवरी 3, 2025 AT 19:38

मेन सोज बैतिए हेड फाइलर कले बकते लॉजिस्टिक लेवल आफ वेरिफिकेशन ।

Neha Shetty
Neha Shetty जनवरी 24, 2025 AT 15:38

उत्साह की बात है कि आप लोग इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। इस तरह की बातें अक्सर अनछुई रह जाती हैं, इसलिए अपनी सोच को साझा करना अच्छा है। हम सभी को मिलकर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

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