
जब संध्या शांताराम, मराठी‑हिंदी सिनेमा की शास्त्रीय नर्तकी और अभिनेत्री, ने 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई में 94 साल की उम्र में अपनी अंतिम साँस ली, तो पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई। आयु‑संबंधी जटिलताओं के कारण उनका निधन हुआ, पर उनका योगदान अब भी कई पीढ़ियों के दिलों में गूँजता रहेगा।
सिनेमाई पृष्ठभूमि और करियर की झलक
संध्या ने अपना फिल्मी सफ़र 1950 के दशक के मध्य में शुरू किया, जब भारतीय सिनेमा में मराठी और हिन्दी दोनों भाषाओं का समन्वय अभी अपनी उन्नति के शुरुआती चरण में था। उनका पहला प्रमुख रोल जुंझुनी (1953) में आया, पर असली पहचान उन्हें 1956 की फिल्म पिंजरा से मिली। यह फिल्म आज भी मराठी सिनेमा की मील का पत्थर मानी जाती है, और संध्या के नृत्य को अक्सर "भुगतान‑भूल्टी" कहा जाता है।
मुख्य फिल्मों और नृत्य कौशल
संध्या के करियर की सबसे चमकदार सूची में तीन‑चार फिल्में शामिल हैं, जो आज भी नए‑नए दर्शकों को आकर्षित करती हैं:
- ज्हनक ज्हनक पायल बाजे (1955) – जहाँ उनका काठक नृत्य 18 घंटे की कठोर प्रैक्टिस से परिपूर्ण था; इस फिल्म ने उनके लिए कई पुरस्कार दिलवाए।
- दो आंखें बारह हाथ (1956) – इस सामाजिक फिल्म में उन्होंने न केवल नृत्य, बल्कि गहरी भावनात्मक अभिव्यक्तियों का प्रदर्शन किया।
- नव रंग (1959) – यहाँ उनके सोज़ी‑साइलिक सीन आज भी क्लासिक माना जाता है।
- पिंजरा (1972) – ‘जाल बिन मछली, नृत्य बिन बिजली’ गाने के साथ उनका नृत्य सभी के मन में अमिट रह गया।
उनकी काठक प्रशिक्षण के पीछे एक रोचक तथ्य यह है कि वह अक्सर सुबह 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक, कुल 18 घंटे, अभ्यास करती थीं। यह अनुशासन ही उनकी “विचित्र अभिव्यक्ति, मीठी आवाज़ और अद्वितीय व्यक्तित्व” का मूल था, जैसा कि उनके पति वी. शांताराम ने कई बार कहा है।
परिवार और सहयोगी
वी. शांताराम, भारतीय सिनेमा के पायनियर, ने संध्या को कई फ़िल्मों में मुख्य भूमिका दी। उनका साथ व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों रूप में था, और फिल्मी दुनिया में उनका युगल एक आदर्श माना जाता रहा। संध्या के निधन की घोषणा अशिश शेलर ने ट्विटर पर की, जहाँ उन्होंने भावनापूर्ण श्रद्धांजलि में लिखा: "भावपूर्ण श्रद्धांजली! ‘पिंजरा’ की प्रख्यात अभिनेत्री संध्या शांताराम जी के निधन पर अत्यंत दुःखद है…"। शेलर मुंबई के एक स्थानीय नेता हैं, और उनका यह बयान सामाजिक मीडिया में जल्दी वायरल हुआ।
उद्योग की प्रतिक्रिया और स्मृतिचिह्न
सिंगर‑आइशा कॉम्प्लेक्स के म्यूजिक डиректор, सुमित पाटिल ने कहा: "संध्या जी की नृत्य कला ने न केवल मराठी सिनेमा को रोशन किया, बल्कि भारतीय नृत्य की सीमा को भी विस्तारित किया।" कई अभिनेता‑निर्देशकों ने अपने‑अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सम्मान व्यक्त किया। अमिताभ बच्चन ने कहा: "उसके कदमों की लहर अभी भी सिनेमाघरों के फर्श पर गूंजती है।"
परिवार ने बताया कि अंतिम संस्कार मुंबई के भातपा में आयोजित होगा, और सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करने की अनुमति नहीं होगी, ताकि शांति बनी रहे।
भविष्य में शेष विरासत
संध्या की फिल्में अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर पुनः रिलीज़ हो रही हैं, जिससे नई पीढ़ी को उनका काम देखने का मौका मिल रहा है। मराठी फिल्म फेस्टिवल 2026 में “संध्या सम्मान” नामक एक विशेष सत्र आयोजित करने की घोषणा की गई है, जिसमें उनके नृत्य कृतियों को रीकॉन्फ़िगर किया जाएगा। साथ ही, कई नर्तकियों ने कहा कि वह अभी भी अपने प्रशिक्षण में संध्या के तकनीकी टच को अपनाते हैं।
मुख्य तथ्यों का सारांश
- संध्या शांताराम का निधन 4 अक्टूबर 2025 को, आयु 94 वर्ष, मुंबई में।
- प्रमुख फिल्में: ज्हनक ज्हनक पायल बाजे, दो आंखें बारह हाथ, नव रंग, पिंजरा।
- काठक में 18 घंटे प्रतिदिन अभ्यास, जिससे अद्भुत नृत्य कौशल विकसित हुआ।
- पति: वी. शांताराम (प्रसिद्ध निर्देशक), घोषणा: अशिश शेलर (टीएमसी नेता)।
- इंडस्ट्री में गहरा शोक, कई सितारों ने सोशल मीडिया में श्रद्धांजलि अर्पित की।
Frequently Asked Questions
संध्या शांताराम का निधन किन कारणों से हुआ?
वह 94 साल की आयु में उम्र‑संबंधी जटिलताओं के कारण मुंबई में लीवर के बगल में शांति से गुजर गईं। डॉक्टरों ने बताया कि वृद्धावस्था में कई आंतरिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो अंततः जीवन को समाप्त कर देती हैं।
उनकी सबसे यादगार फिल्म कौन‑सी मानी जाती है?
‘पिंजरा’ को अक्सर उनकी करियर की शिखर रचना कहा जाता है, क्योंकि इसमें उनका नर्त्य रूप और अभिव्यक्तिपूर्ण अभिनय दोनों ही सर्वोत्तम स्तर पर थे। यह फिल्म मराठी सिनेमा का क्लासिक बन चुका है।
संध्या की नृत्य शैली में क्या खास था?
उनकी काठक प्रशिक्षण 18 घंटे प्रतिदिन के कठोर अभ्यास से परिपूर्ण थी। यह अनुशासन उनके नृत्यों में ताकत, लचीलापन और भावनात्मक गहराई लाता था, जिससे दर्शकों को असाधारण अनुभव मिला।
अशिश शेलर ने घोषणा में क्या कहा?
अशिश शेलर ने ट्विटर पर कहा: "भावपूर्ण श्रद्धांजली! ’पिंजरा’ की प्रख्यात अभिनेत्री संध्या शांताराम जी के निधन पर अत्यंत दुःखद है…" उन्होंने उनके नृत्य और अभिनय को दोहराने‑अविस्मरणीय बताया।
उनकी विरासत कैसे संजोई जा रही है?
उन्हें विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया जा रहा है, उनकी फिल्में डिजिटल स्ट्रीमिंग पर री‑रिलीज़ हो रही हैं, और नर्तकियों द्वारा उनके तकनीकों को सीखकर नई पीढ़ी को सिखाया जा रहा है।
1 टिप्पणि
संध्या जी की यादें हमेशा हमारे दिलों में ताज़ा रहेंगी।