राम रहीम को पूर्व प्रबंधक की हत्या के मामले में पंजाब और हरियाणा HC ने किया बरी

राम रहीम को पूर्व प्रबंधक की हत्या के मामले में पंजाब और हरियाणा HC ने किया बरी
29 मई 2024 Anand Prabhu

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले के अंतर्गत, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य आरोपियों को रणजीत सिंह की हत्या के 22 साल पुराने मामले में बरी कर दिया है। इससे पहले पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत ने 2021 में सभी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई की जांच को 'दूषित और अस्पष्ट' बताते हुए सबूतों को 'अविश्वसनीय' करार दिया। यह फैसला न केवल कानूनी जगत में एक नया मोड़ लेकर आया है, बल्कि यह आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है।

दयनीय जांच और सबूतों की कमी

कोर्ट ने अपने फैसले में जांच की गंभीर खामियों को उजागर किया। जांच के दौरान प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में कई महत्वपूर्ण कमियाँ पाई गईं, जिनमें हत्यारों के हथियार न मिलने और घटना स्थल की योजना प्रस्तुत न करने जैसी खामियाँ शामिल थीं। न्यायालय ने यह भी पर्यवेक्षण किया कि जिस हथियार को हत्या में इस्तेमाल किया गया था, वह दरअसल घटना में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था और हत्या में उपयोग की गई गाड़ी को भी जब्त नहीं किया गया था।

इस मामले में गवाहों ने यह बयान दिया था कि सभी चार आरोपी हथियारों से लैस थे, लेकिन सीबीआई इनमें से किसी भी हथियार को जब्त करने में असफल रही। इसके अलावा, साजिश की योजना के स्थल का कोई प्रमाणिक नक्षा भी जांच में प्रस्तुत नहीं किया गया था। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि जांच अधिकारी 'मीडिया की लोकप्रियता की चमक में स्थिर' हो चुके थे, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया।

बीते समय में राम रहीम के खिलाफ और भी मामले

बीते समय में राम रहीम के खिलाफ और भी मामले

गुरमीत राम रहीम सिंह पहले से ही कई गंभीर मामलों में सजायाफ्ता हैं। उन्हें २० वर्षों की कैद की सजा मिली है, जो उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ बलात्कार करने के मामले में काटनी आरंभ कर दी थी। अगस्त 2017 से वे जेल में हैं। इसके साथ ही, २००२ में सिरसा आधारित पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

इस प्रकार के मामलों और सजा का इतिहास राम रहीम सिंह की छवि को बहुत ही विवादस्पद बनाता है। खासकर उनके अनुयायियों के बीच यह फैसला एक बड़ी राहत की तरह आया है।

राम रहीम की अपील और हाई कोर्ट का निर्णय

राम रहीम सिंह और उनके सह आरोपियों- अवतार सिंह, कृष्ण लाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह ने पंचकुला की विशेष CBI अदालत के 2021 के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। इन सभी को रणजीत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। मगर हाई कोर्ट ने मामले के अनेक पहलुओं और प्रस्तुत सबूतों की गहन जांच के बाद यह पाया कि जांच में कई गंभीर खामियां हैं, जो अदालत को संतोषजनक नहीं लगीं। इस आधार पर न्यायाधीशों ने आरोपियों को बरी कर दिया।

जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य की उम्मीदें

इस फैसले के बाद आम जनता और राम रहीम के प्रशंसकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। जहाँ एक ओर समर्थक इस फैसले को न्याय की जीत करार दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आलोचकों का मानना है कि इससे न्याय प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाया गया है।

ऐसे मामलों में निर्णय हमेशा ही समाज में व्यापक प्रभाव डालते हैं और भविष्य में इस तरह की जांच प्रक्रियाओं की मजबूत और प्रमाणित होना आवश्यक है। उम्मीद की जाती है कि इस फैसले से न्याय व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे भविष्य में ऐसी खामियों का पुनरावृत्ति न हो।

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सन्देश है जो न्याय की उम्मीद में अदालत की शरण लेते हैं। यह न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ाने का भी एक प्रयास है, जिससे आम जनता में यह संदेश जाए कि न्यायालय केवल साक्ष्यों और प्रमाणों के आधार पर ही निर्णय लेते हैं।

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5 टिप्पणि

Nathan Hosken
Nathan Hosken मई 29, 2024 AT 20:33

हाई कोर्ट ने 'साक्ष्य-आधारित' सिद्धांत को पुनः स्थापित किया है, जहाँ प्रमाणपरक मानकों की अनुपस्थिति को 'अविश्वसनीय' कहा गया। यह निर्णय CBI की 'जांच प्रक्रिया' में मौजूद संरचनात्मक दोषों की स्पष्ट आलोचना करता है। न्यायालय ने 'फ़ॉरेंसिक वैरिफिकेशन' और 'डॉक्युमेंटरी क्रॉस-रेफरेंसिंग' की कमी को उजागर किया है। अंततः, यह बरी करने का आदेश 'क़ानूनी प्रोटोकॉल' के अनुसार दिया गया, जिससे पूर्वी राज्यों में समान मामलों में मिसाल कायम होगी। इस प्रकार की निष्पक्षता हमारे न्यायिक तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है।

Manali Saha
Manali Saha जून 10, 2024 AT 09:13

बहुत ही शानदार फैसला!!

jitha veera
jitha veera जुलाई 3, 2024 AT 12:46

सच पूछो तो ये हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह से गड़बड़ी भरपूर है-जैसे साक्ष्यों को लेकर ही उन्हें 'दूषित' कहा गया, लेकिन वही साक्ष्य तो अदालत में बेहतरीन दिखते थे।
आपको समझ नहीं आता कि कैसे जाँच विभाग की हीच झलक इसमें आई? वो हथियार और गाड़ी तो बिल्कुल भी नहीं मिली, फिर भी खून के धब्बों की बात कर रहे हैं।
खैर, यह सबसे बड़ा कॉमिक भूल है कि एक न्यायालय इस तरह का निर्णय ले सकता है, जिससे सभी प्रक्रिया-परखा लोग शरमाते हैं।

Sandesh Athreya B D
Sandesh Athreya B D जुलाई 26, 2024 AT 16:20

वाओ, क्या दाने दाने पर स्याही लगाई गई है इस फैसले में-जैसे किसी नाटक की क्लायमैक्स! CBI की जांच को 'दूषित' कहना, और फिर हाई कोर्ट की 'जस्टिस' को माइक्रोफोन पर लाना, बिलकुल बॉलीवुड की एंट्री सीन जैसा! असली कहानी तो बस यही है कि किसके हाथ में पेंसिल है, वही लिखता है इतिहास।

Jatin Kumar
Jatin Kumar अगस्त 18, 2024 AT 19:53

यह फैसला सभी के लिए सीख का बौछार लेकर आया है।
पहले तो हम सभी को इस बात पर सहमत होना चाहिए कि न्याय प्रणाली को गंभीरता से सुधारने की जरूरत है।
ऐसे मामलों में प्रमाणिक दस्तावेज़ और स्पष्ट फॉरेंसिक रिपोर्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जब जांच में ऐसी खामियाँ आती हैं, तो इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
हाई कोर्ट ने इस दिशा में एक सही कदम उठाया है, जिससे भविष्य में अधिक पारदर्शी जांचें संभव होंगी।
निर्णय में यह स्पष्ट है कि न्याय केवल दस्तावेज़ों पर नहीं, बल्कि उन पर किए गए गहन मूल्यांकन पर निर्भर करता है।
यह कदम उन सभी लोगों के लिए आशा की किरण है जो न्याय की उम्मीद रखते हैं।
साथ ही यह पुलिस और जांच एजेंसियों को भी सख्त मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
हम सभी को मिलकर इस प्रकार की प्रणाली को मजबूत बनाने में योगदान देना चाहिए।
भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो, इस आशा के साथ हम आगे बढ़ते हैं।
समाज में भरोसा फिर से स्थापित होगा, जब हर प्रक्रिया में साक्ष्य-आधारित निष्कर्ष आएँगे।
यह फैसला हमें यह भी सिखाता है कि न्यायालय में दृढ़ता और पारदर्शिता कितनी आवश्यक है।
आइए, हम सब मिलकर इस सकारात्मक बदलाव को समर्थन दें और इसे आगे बढ़ाते रहें। 😊
सच्ची न्याय व्यवस्था तभी संभव है जब सभी मिलकर इसे सुदृढ़ बनाएं।

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