प्रख्यात पंजाबी कवि और पद्म श्री सुरजीत पटार का 79 वर्ष की आयु में निधन

प्रख्यात पंजाबी कवि और पद्म श्री सुरजीत पटार का 79 वर्ष की आयु में निधन
11 मई 2024 Anand Prabhu

पंजाबी साहित्य के चमकते हुए सितारे, पद्म श्री सुरजीत पटार ने 79 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सुरजीत पटार का जन्म पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ था और उन्होंने अपनी लेखनी से पंजाबी साहित्य और संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। पटार जी को उनकी साहित्यिक योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शोक व्यक्त किया और उनके द्वारा पंजाबी संस्कृति और साहित्य में किए गए योगदान को सराहा।

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13 टिप्पणि

Manali Saha
Manali Saha मई 11, 2024 AT 12:11

सुरजीत पटार जी को याद करके दिल झूम रहा है!!! उनका योगदान अमूल्य है!!!

jitha veera
jitha veera मई 11, 2024 AT 15:20

अरे, हर कोई तो बस बड़े-बड़े नामों को ही सराहता है, लेकिन इनके असली प्रभाव को समझे बिना बकवास करता है। पद्म श्री जैसे पुरस्कार तो बस सरकारी मान्यता है, असली कदर तो जनता की यादों में रहती है। साहित्य को टुकरा‑टुकरा करके देखना, असली गहराई को नहीं पकड़ पाता। मैं मानता हूँ कि कई नियामक कहानियों को ही लिखते हैं, असली रचनाकार को नहीं। फिर भी, इस क्रम में उनका योगदान अनदेखा नहीं हो सकता।

Sandesh Athreya B D
Sandesh Athreya B D मई 11, 2024 AT 19:30

ओह माय गॉड, ऐसे महान कवि के निधन पर सबको रोना-हँसना एक ही मोमेंट में चाहिए! इस तरह का शोक ऑनलाइन ट्रेंड बन जाता है, लोग 'गहराई' की बजाए इमोजी पर चल पड़ते हैं। वाकई, ये तो वो हवा में उड़ती हुई बात है कि कल कौन कौन याद करेगा। लेकिन सच बताऊँ तो, पंजाबी साहित्य का असली शन्हा तो यहीं के आम लोगों के जीभ में है।

Jatin Kumar
Jatin Kumar मई 11, 2024 AT 23:40

सही कहा तुमने, लेकिन देखो, सच्ची शिष्टता तो हमारी लहरों में है 😊। सुरजीत सर की रचनाएँ दिल को छू लेती हैं, और यही कारण है कि लोग आज भी उनके शब्दों में आराम पाते हैं। उनके काव्य में न सिर्फ़ पंजाबी संस्कृति का प्रतिबिंब है, बल्कि मानवीय भावनाओं की गहराई भी झलकती है। इस दुखद समय में हम सब मिलकर उनकी विरासत को आगे बढ़ाएँगे, यह हमारा छोटा सा योगदान रहेगा। आप सभी को धन्यवाद, इस भावनात्मक सफ़र में साथ रहने के लिए! 🙏

Anushka Madan
Anushka Madan मई 12, 2024 AT 03:50

बिलकुल, लेकिन हमें इस बात को भी याद रखना चाहिए कि कोई भी महान व्यक्ति त्रुटिहीन नहीं होता। उनके योगदान को सराहते हुए भी, हमें कभी भी उनके काम को अंधाधुंध नहीं मानना चाहिए। सामाजिक जिम्मेदारी का अर्थ है कि हम हर क्रिया की नैतिकता परखें, चाहे वह कवि हो या राजनेता। इस तरह की संतुलित दृष्टि ही हमें सच्चे सम्मान की ओर ले जाती है।

nayan lad
nayan lad मई 12, 2024 AT 08:00

सुरजीत पटार जी की काव्य यात्रा हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।

Govind Reddy
Govind Reddy मई 12, 2024 AT 12:10

यदि हम विचारों के प्रवाह को एक नदी मानें, तो पटार जी की कविताएँ उस नदी की बहती धारा हैं, जो मन के गहरे तटों को निरंतर घिसती रहती हैं; इस सतत प्रवाह को समझना ही जीवन के अर्थ को छूना है।

KRS R
KRS R मई 12, 2024 AT 16:20

भाई, ऐसे बड़े कवि को खोना बस एक बात नहीं, ये तो पूरे साहित्यिक परिदृश्य को झटका है, लेकिन देखो, अब ये झटका हमें नई रचनाओं की ओर धकेल सकता है।

Uday Kiran Maloth
Uday Kiran Maloth मई 12, 2024 AT 20:30

वास्तव में, साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में यह निधन एक प्रतिकात्मक क्षण है जो पंजाबी भाषा विज्ञान के द्वंद्वात्मक विकास को प्रेरित कर सकता है। इस विश्लेषणात्मक फ्रेमवर्क के अंतर्गत, हम देख सकते हैं कि सांस्कृतिक स्मृति की पुनर्निर्मिति और पाठ्यशुद्धता का पुनःस्थापन आवश्यक हो जाता है। अतः, इस शोक को केवल व्यक्तिगत क्षति के रूप में नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक पुनरावलोकन के अवसर के रूप में मानना चाहिए।

Deepak Rajbhar
Deepak Rajbhar मई 13, 2024 AT 00:40

सुरजीत पटार जी का निधन वाकई में एक बड़ी सांस्कृतिक क्षति है, परन्तु हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हर महान कलाकार के पीछे अनेक अनदेखे संघर्ष होते हैं।
मैं अक्सर देखता हूँ कि लोग बड़े-बड़े पुरस्कारों को लेकर खुद को श्रेष्ठ मान लेते हैं, जबकि वास्तविक मूल्य तो पाठक की गहरी भावना में निहित होता है।
पद्म श्री एक मान्य सम्मान है, पर यह जहाँ तक पहुँचता है, वहाँ तक की यात्रा अक्सर राजनीतिक समर्थन पर निर्भर करती है।
पटार जी ने अपने साहित्य में सामाजिक वर्गों को बहुत चौकसता से उकेरा, और उनका भाषाई लहजा हमेशा सजीव और प्रकट रहा।
वास्तव में, जब तक हम उनके कार्यों को सतही तौर पर नहीं पढ़ते, तब तक उनकी गहराई का असली सार नहीं समझ पाते।
शायद यह समय है कि हम उनके कविताओं को नयी पीढ़ी के लिये डिजिटल रूप में संरक्षित करें, क्योंकि पुस्तकालयों में रखी पांडुलिपियां भी कभी-कभी धुंधली हो जाती हैं।
कई नई लेखकों को प्रेरणा की आवश्यकता है, और इस प्रेरणा को हम केवल सराहना की आवाज़ से नहीं, बल्कि उनके कार्यों को पढ़ने और चर्चा करने से दे सकते हैं।
सुरजीत सर की शैली में एक अनूठी लय है, जो पंजाबी बोलियों को काव्य के रूप में पुनःसंरचित करती है।
उनकी रचनाएँ अक्सर सामाजिक असमानताओं को उजागर करती थीं, और इस कारण ही उन्हें सरकारी स्तर पर मान्यता मिली।
परन्तु यह भी सच है कि कई बार सरकारी मान्यता कवियों को उनके मूल संदेश से विचलित कर देती है।
आइए, हम इस शोक को केवल आँसू में नहीं, बल्कि कार्रवाई में बदलें, जैसे कि स्कूलों में उनके कार्यों को पाठ्यक्रम में शामिल करना।
मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि साहित्य का वास्तविक प्रभाव तभी होता है जब वह लोगों के दैनिक जीवन में प्रवेश करता है।
यदि हम आज उनके काव्य को पढ़ते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके शब्दों में एक सामाजिक प्रतिबद्धता भी छिपी है।
इस कारण हम सभी को मिलकर उनके आदर्श को आगे बढ़ाना चाहिए, चाहे वह ऑनलाइन मंच हो या स्थानीय साहित्यिक मंच।
अंततः, यह शोक हमें यह सिखाता है कि जीवन में साहित्य की जगह कितनी महत्वपूर्ण है, और हमें इसे हमेशा संरक्षित रखने की जरूरत है। 😊

Hitesh Engg.
Hitesh Engg. मई 13, 2024 AT 04:50

बहुत ही सुंदर विश्लेषण है, और मैं पूरी तरह से इस बात से सहमत हूँ कि हमें उनके कार्यों को शैक्षिक संस्थानों में शामिल करना चाहिए। वास्तव में, ऐसी पहल से नई पीढ़ी को न केवल साहित्यिक सौंदर्य की समझ होगी, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी विकसित होगी। इसके साथ ही, डिजिटल संग्रहण के माध्यम से उनका साहित्य वैश्विक दर्शकों तक पहुँच सकेगा, जिससे पंजाबी संस्कृति को एक नया आयाम मिलेगा। मैं इस विचार को समर्थन देता हूँ और आशा करता हूँ कि कई संस्थाएँ इस दिशा में कदम उठाएँगी।

Zubita John
Zubita John मई 13, 2024 AT 09:00

भाईयो, सुरजीत पटार जी की कविताएँ तो बस दिमाग़ में बंची हुई लाइटनिंग्स हैं, हर पंक्ति में इमोट्स की तरह झलकती है। मैं तो कहूँगा, इन्हें पढ़ते‑पढ़ते दिल का CPU ओवरहिट हो जाता है! चलिए, इनको हम सब मिलके एक online archive में डालते हैं, ताकि हर कोई आसानी से access कर सके। यह सिर्फ़ साहित्य नहीं, ये एक cultural firmware है, जिसे अपडेट रखना ज़रूरी है।

gouri panda
gouri panda मई 13, 2024 AT 13:10

ओह! क्या बात है, अब तो हम सबकी ज़िन्दगी में इस काव्य की थंडरबोल्ट आ गई! मैं तो कहता हूँ, इस धाकड़ कवि को याद करके हमारा दिल पूरी तरह से ELECTRIC हो गया है!! अगर नहीं पढ़ा तो जैसे जीवन में बैटरियां खत्म हो गई हों! चलो, इस भावना को हर corner में फैलाएँ, क्योंकि यही तो असली दादागिरी है!!

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