नवरात्रि में सोने की कीमतों में उछाल: दिल्ली‑मुंबई में 3,300 रुपये/10ग्राम की वृद्धि

नवरात्रि में सोने की कीमतों में उछाल: दिल्ली‑मुंबई में 3,300 रुपये/10ग्राम की वृद्धि
22 अक्तूबर 2025 Anand Prabhu

नवरात्रि 2025 के दौरान भारत में सोना खरीदना लगभग असंभव हो गया, क्योंकि 23 सितंबर से 30 सितंबर तक कीमतों में 3,300 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछाल आया। दर्शन देसाई, CEO of Aspect Bullion & Refinery ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेड की नीति अनिश्चितता ने इस उछाल को तेज़ कर दिया है।

इतिहास और मौसमी प्रभाव

सोने की कीमतों का मौसमी उछाल कोई नया नहीं है, पर नवरात्रि के पहले दो हफ़्तों में यह अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गया। पिछले साल के इसी दौरान कीमतें औसतन 1,100 रुपये प्रति 10 ग्राम तक रुकती थीं, जबकि इस साल सिर्फ एक हफ़्ते में 1,14,480 रुपये से 1,18,480 रुपये तक क्लाइम्ब हुआ। भारतीय बुलियन एसोसिएशन (IBA) के आंकड़ों के अनुसार, 22 सितंबर को 1,14,480 रुपये से 23 सितंबर को 1,15,740 रुपये तक बढ़ोतरी में 1,260 रुपये (12.6 %) की तेज़ी दिखी।

दैनिक कीमतों का विश्लेषण

  • 23 सितंबर (नवरात्रि का दूसरा दिन) – दिल्ली: 1,14,480 ₹/10 ग्राम, मुंबई: 1,14,330 ₹/10 ग्राम
  • 24 सितंबर – उत्तर भारत में औसत 1,15,000 ₹/10 ग्राम, चांदी 1,40,100 ₹/kg
  • 26 सितंबर – गिरावट के साथ राष्ट्रीय औसत 1,13,170 ₹/10 ग्राम, दिल्ली 1,12,790 ₹/10 ग्राम
  • 28 सितंबर – दिल्ली 1,15,630 ₹/10 ग्राम (24 कैरेट), 22 कैरेट 1,06,000 ₹/10 ग्राम
  • 30 सितंबर – चेन्नई 1,18,480 ₹/10 ग्राम (24 कैरेट), 1,08,600 ₹/10 ग्राम (22 कैरेट)

इन आंकड़ों को दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख मेट्रो क्षेत्रों के साथ तुलना करने पर दिखता है कि दोनों शहरों में कीमतों का अंतर अधिकतम 200 रुपये तक रहा – जो दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बाजार एकरूप था।

विशेषज्ञों की राय

दर्शन देसाई ने कहा, “नवरात्रि के शुरू होने से मांग में अचानक मिठास आती है, लेकिन अगर कीमतें थोड़ा‑बढ़ो‑घटते हैं तो यह निवेशकों के लिए सुनहरा मौका बन सकता है।” इसी बात को MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) के विश्लेषक रवि शुक्ला ने भी दोहराया, “अभी के डेटा में देखी गई 53 रुपये की मामूली दैनिक बढ़ोतरी दर्शाती है कि बाजार अभी भी अस्थिर है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से सोना सुरक्षित शेल्टर बना रहेगा।”

उपभोक्ता प्रभाव और खरीदारी की चुनौतियां

उपभोक्ता प्रभाव और खरीदारी की चुनौतियां

बढ़ती कीमतों ने रोज़मर्रा के भारतीय उपभोक्ता को चौंका दिया। कई आभूषण विक्रेताों ने बताया कि नवरात्रि के अलावा शादियों और त्योहारी सीज़न में मांग पहले ही तेज़ थी, पर अब ग्राहक छोटे‑छोटे हिस्से में निवेश कर रहे हैं। “ज्यादातर ग्राहक 10 ग्राम से कम खरीद रहे हैं, क्योंकि 1,18,000 रुपये का बजट अब कई परिवारों के लिए तय नहीं हो पाता,” के साथ एक दिल्ली के रिटेलर ने कहा।

भविष्य की संभावनाएँ और आगे की दिशा

विश्लेषकों का अनुमान है कि अक्टूबर के शुरुआती हफ़्ते में अगर अमेरिकी डॉलर में फिर से गिरावट आती है तो कीमतें 1,20,000 रुपये/10 ग्राम को पार कर सकती हैं। वहीं, यदि वैश्विक मौद्रिक नीति में अचानक सख्ती आती है तो कीमतें 2‑3 हफ़्तों में 1,10,000 रुपये तक गिर सकती हैं। निर्माताओं और निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे “लेवरेज” न करें और केवल वह राशि निवेश करें जिसे वे खोने के लिए तैयार हों।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नवरात्रि के दौरान सोने की कीमतें इतनी तेज़ क्यों बढ़ी?

त्योहारी मांग, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट और फेड के मौद्रीक नीति की अनिश्चितता ने मिलकर निवेशकों को सुरक्षा के रूप में सोने की ओर आकर्षित किया, जिससे कीमतें तेज़ी से बढ़ीं।

क्या इस उछाल से मध्यम वर्ग के लिए सोना खरीदना अब संभव है?

वर्तमान में 24 कैरेट की कीमत 1,18,000 रुपये/10 ग्राम तक पहुँच गई है, जिससे मध्यम वर्ग के लिए बड़ी मात्रा में खरीदना मुश्किल हो रहा है; छोटे हिस्से या 22 कैरेट विकल्प अधिक प्रचलित हो रहे हैं।

भविष्य में कीमतों में गिरावट की संभावना कितनी है?

यदि अमेरिकी डॉलर फिर से मजबूत हो रहा है या वैश्विक मुद्रास्फीति नियंत्रण में आती है, तो कीमतों में 2‑3 हफ़्ते के भीतर 5‑10 % की गिरावट देखी जा सकती है।

क्या सोना अभी भी एक सुरक्षित निवेश माना जाता है?

सोनें को अक्सर "सेफ‑हेवन" कहा जाता है; वर्तमान अस्थिर बाजार में यह जोखिम‑रहित संपत्ति माना जाता है, लेकिन अल्प‑काल में मूल्य उतार‑चढ़ाव से बच नहीं सकता।

नवरात्रि के बाद कीमतों में क्या बदलाव की आशा है?

त्योहारी सीज़न समाप्त होते ही मांग में थोड़ा गिरावट आ सकती है, परंतु दीर्घकालिक निवेशकों की रुचि के कारण कीमतें स्थायी स्तर पर बनी रह सकती हैं।

9 टिप्पणि

umesh gurung
umesh gurung अक्तूबर 22, 2025 AT 21:39

नवरात्रि के दौरान सोने की कीमतों में हुई इस तीव्र उछाल को समझते समय हमें कई आर्थिक संकेतकों को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि ये केवल मौसमी मांग का परिणाम नहीं हैं; यह डॉलर के अवमूल्यन और वैश्विक मौद्रिक नीतियों की अनिश्चितता को भी प्रतिबिंबित करता है। इस संदर्भ में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पोर्टफ़ोलियो में विविधता रखें, ताकि अचानक मूल्य परिवर्तन से बचा जा सके। साथ ही, छोटे निवेशकों को 22 कैरेट विकल्पों पर विचार करना उचित रहेगा, क्योंकि ये बजट के अनुकूल हैं। सरकार की नीतियों का भी इस प्रवृत्ति पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए किसी भी निर्णय से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना समझदारी है। अंत में, मैं यह आशा करता हूँ कि सभी निवेशक इस स्थितिगत परिवर्तन को समझदारी से संभालें और दीर्घकालिक लक्ष्य को न भूलें।

sunil kumar
sunil kumar अक्तूबर 28, 2025 AT 02:27

ध्यान दीजिए, नवरात्रि के इस बाजार‑परिस्थिति में सोने की मूल्यस्थिरता एक सिम्फ़नी की तरह बदलती रहती है-हर नोट एक अलग आर्थिक संकेत देती है। पहला, अंतरराष्ट्रीय फेडरल रिज़र्व की नीति‑अनिश्चितता सीधे तौर पर डॉलर को कमजोर करती है, जो स्वर्ण की आकर्षकता को दोगुना कर देती है। दूसरा, वैश्विक तेल कीमतों में उतार‑चढ़ाव का प्रभाव भी इस द्वितीयक बाजार में अनिवार्य रूप से परिलक्षित होता है; यह एक जटिल मैक्रो‑इकोनॉमिक पॉज़िशनिंग को दर्शाता है। तीसरा, इन थीमेटिक परफॉर्मेंस‑इंडिकेटर्स को समझने के लिए हमें ‘कस्टमर‑डिमांड‑इंटेंसिटी’ तथा ‘मार्केट‑लीक्विडिटी‑इवॉल्यूशन’ जैसे जारगन का उपयोग करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, ‘बेरोज़गार‑सेंटीमेंट‑इंडेक्स’ का शून्य‑संतुलन आंतरिक उपभोक्ता विश्वास को प्रभावित करता है, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के निवेश निर्णय पर असर पड़ता है।
भविष्य की प्रोजेक्शन में, यदि हम ‘फैड‑इट्रेंड‑बाय‑डेटा‑एनालिटिक्स’ को अपनाते हैं, तो देखेंगे कि संभावित गिरावट 5‑10% की सीमा में रह सकती है, बशर्ते कि डॉलर की ताकत पुनः स्थापित हो।
अंत में, यह कहना सुरक्षित है कि सोना अब भी एक क्लासिक ‘सेफ‑हैवन‑ऐसेट’ बना रहेगा, परन्तु अल्प‑कालिक चक्रव्यूह से बचने के लिए ‘डायनेमिक‑हेजिंग‑स्प्रेड्स’ अपनाना आवश्यक है। इस गंभीर विश्लेषण को ध्यान में रखकर, निवेशकों को चाहिए कि वे अपने पोर्टफ़ोलियो के ‘असेट‑एलोकेशन‑स्ट्रैटेजी’ को पुनः मूल्यांकित करें और सटीक जोखिम‑प्रबंधन उपायों को लागू करें।

prakash purohit
prakash purohit नवंबर 2, 2025 AT 07:15

यदि आप इस सोने की कीमतों के उछाल को सतही तौर पर देखते हैं तो आप बड़ी धोखाधड़ी से आँखें बंद कर रहे हैं। वास्तव में, यह एक बड़े वित्तीय साज़िश का परिणाम है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय बैंक जगत ने मिलकर डॉलर को हताशा में डालकर सोने को हेज़ के रूप में प्रयोग किया है। इस प्रक्रिया में, कई छिपे हुए कोरपोरेट एंटिटीज़ ने बाजार में बॉट‑ट्रेडिंग के माध्यम से कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया है। साथ ही, राष्ट्रीय रिज़र्व बैंक के नीतियों में भी गुप्त समझौते हुए हैं, जिन्होंने इस उछाल को और तेज़ कर दिया। तो, आम जनता को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अगला कदम शायद अधिक हेरफेर होगा-शायद अगली पीढ़ी के निवेशकों को उच्च करों या वैकल्पिक मेटल्स पर मजबूर कर देना।

Darshan M N
Darshan M N नवंबर 7, 2025 AT 12:03

सोना महंगा हो गया, अब छोटे टुकड़े ही खरीद पाते हैं।

manish mishra
manish mishra नवंबर 12, 2025 AT 16:51

भाई, तुम इस ‘बैंक‑साज़िश’ वाले सिद्धांत को बहुत ओवर‑ड्राइंग कर रहे हो 😒। असल में, बजार में यूँ ही उतार‑चढ़ाव तो रहता है, इसको बड़े‑छोटे लोग हमेशा उठाते‑पटकते रहते हैं। हम सबको पता है कि सोने की कीमतें हर साल नवरात्रि में थोड़ी बढ़ती हैं, पर 3,300 रुपये का उछाल? यही तो बाजार की प्राकृतिक लहर है, इसे साजिश नहीं बना सकते। अपनी राय को कम‑ज्यादा रखो, वैसा ही लोगों के पैसों को न भूलो।

tirumala raja sekhar adari
tirumala raja sekhar adari नवंबर 17, 2025 AT 21:39

सोने की मीटिंग में तो यूँ बकवास हो रही हैं जेसा की किताब में लिखा है, लेकिन असली बात तो ये है कि अब तो टैक्टिकल खरीदारी करनी पड़ेगी। मैं कहूँगा, ये डेप्थ में झाँकिए तो जानते हैं की कीमतें स्टीरियोस्कोपिक तरीके से ऊपर‑नीचे हो रही हैं-बहुत खुश नहीं हूँ। सच्चाई ये है कि जो लोग इस ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं, वो शायद कुछ ज्यादा ही आर्टिस्टिक हैं। नहीं तो, सोने का बाजार हमेशा एक दिमाग़ी हेलीकॉप्टर जैसा रहता है, जहाँ से कोई भी आसान उत्तर नहीं मिलता। अब सिर्फ़ हमें गढ़ी हुई रेटिंग्स पर भरोसा नहीं करना चाहिए। समझौते की बात नहीं, लेकिन यहाँ की रिव्यूज़ तो नहीं पढ़ते।

abhishek singh rana
abhishek singh rana नवंबर 23, 2025 AT 02:27

नवरात्रि में कीमतों के अचानक बढ़ने का एक प्रमुख कारण मौसमी मांग है, लेकिन साथ ही डॉलर की गिरावट और फेड की नीतियों की अनिश्चितता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है; इसलिए निवेशकों को चाहिए कि वे अपना निवेश पोर्टफ़ोलियो विविधित रखें। छोटे निवेशकों के लिए 22 कैरेट सोना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसका वहन करना आसान रहता है। साथ ही, यदि आप लम्बी अवधि के लिए सोना रखना चाहते हैं, तो बाजार की अस्थिरता को देखते हुए, एकत्रीकरण (डॉलर‑कॉस्ट‑एवरेजिंग) तकनीक अपनाना फायदेमंद हो सकता है। हमेशा याद रखें, कोई भी निवेश जोखिम‑रहित नहीं होता, इसीलिए निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर करें।

Ashwin Ramteke
Ashwin Ramteke नवंबर 28, 2025 AT 07:15

सही कहा आपने भाई, विविधता लाने से जोखिम कम होता है। मैं सुझाव दूँगा कि सोने के साथ-साथ कुछ रेयर‑अर्थ एसेट्स जैसे कि रियल एस्टेट फंड या गोल्ड‑ETF को भी पोर्टफ़ोलियो में शामिल किया जाये। इससे बाजार के उतार‑चढ़ाव से बेहतर कवर मिलेगा और लिक्विडिटी भी बनी रहेगी। अगर आप छोटे‑छोटे निवेश की बात करें तो 22 कैरेट या छोटे ग्राम पैक खरीदना एक समझदार विकल्प हो सकता है।

Rucha Patel
Rucha Patel दिसंबर 3, 2025 AT 12:03

इसी बढ़ती कीमतों की वजह से बहुत से लोग अपने बजट को तोड़कर सोने में निवेश कर रहे हैं, जो कि पूर्णतः अनुचित है। हमें इस तरह के ‘सोने की घृचा’ को रोका जाना चाहिए, वरना मध्य‑वर्ग की वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी।

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