
नवरात्रि 2025 के दौरान भारत में सोना खरीदना लगभग असंभव हो गया, क्योंकि 23 सितंबर से 30 सितंबर तक कीमतों में 3,300 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछाल आया। दर्शन देसाई, CEO of Aspect Bullion & Refinery ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेड की नीति अनिश्चितता ने इस उछाल को तेज़ कर दिया है।
इतिहास और मौसमी प्रभाव
सोने की कीमतों का मौसमी उछाल कोई नया नहीं है, पर नवरात्रि के पहले दो हफ़्तों में यह अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गया। पिछले साल के इसी दौरान कीमतें औसतन 1,100 रुपये प्रति 10 ग्राम तक रुकती थीं, जबकि इस साल सिर्फ एक हफ़्ते में 1,14,480 रुपये से 1,18,480 रुपये तक क्लाइम्ब हुआ। भारतीय बुलियन एसोसिएशन (IBA) के आंकड़ों के अनुसार, 22 सितंबर को 1,14,480 रुपये से 23 सितंबर को 1,15,740 रुपये तक बढ़ोतरी में 1,260 रुपये (12.6 %) की तेज़ी दिखी।
दैनिक कीमतों का विश्लेषण
- 23 सितंबर (नवरात्रि का दूसरा दिन) – दिल्ली: 1,14,480 ₹/10 ग्राम, मुंबई: 1,14,330 ₹/10 ग्राम
- 24 सितंबर – उत्तर भारत में औसत 1,15,000 ₹/10 ग्राम, चांदी 1,40,100 ₹/kg
- 26 सितंबर – गिरावट के साथ राष्ट्रीय औसत 1,13,170 ₹/10 ग्राम, दिल्ली 1,12,790 ₹/10 ग्राम
- 28 सितंबर – दिल्ली 1,15,630 ₹/10 ग्राम (24 कैरेट), 22 कैरेट 1,06,000 ₹/10 ग्राम
- 30 सितंबर – चेन्नई 1,18,480 ₹/10 ग्राम (24 कैरेट), 1,08,600 ₹/10 ग्राम (22 कैरेट)
इन आंकड़ों को दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख मेट्रो क्षेत्रों के साथ तुलना करने पर दिखता है कि दोनों शहरों में कीमतों का अंतर अधिकतम 200 रुपये तक रहा – जो दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बाजार एकरूप था।
विशेषज्ञों की राय
दर्शन देसाई ने कहा, “नवरात्रि के शुरू होने से मांग में अचानक मिठास आती है, लेकिन अगर कीमतें थोड़ा‑बढ़ो‑घटते हैं तो यह निवेशकों के लिए सुनहरा मौका बन सकता है।” इसी बात को MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) के विश्लेषक रवि शुक्ला ने भी दोहराया, “अभी के डेटा में देखी गई 53 रुपये की मामूली दैनिक बढ़ोतरी दर्शाती है कि बाजार अभी भी अस्थिर है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से सोना सुरक्षित शेल्टर बना रहेगा।”

उपभोक्ता प्रभाव और खरीदारी की चुनौतियां
बढ़ती कीमतों ने रोज़मर्रा के भारतीय उपभोक्ता को चौंका दिया। कई आभूषण विक्रेताों ने बताया कि नवरात्रि के अलावा शादियों और त्योहारी सीज़न में मांग पहले ही तेज़ थी, पर अब ग्राहक छोटे‑छोटे हिस्से में निवेश कर रहे हैं। “ज्यादातर ग्राहक 10 ग्राम से कम खरीद रहे हैं, क्योंकि 1,18,000 रुपये का बजट अब कई परिवारों के लिए तय नहीं हो पाता,” के साथ एक दिल्ली के रिटेलर ने कहा।
भविष्य की संभावनाएँ और आगे की दिशा
विश्लेषकों का अनुमान है कि अक्टूबर के शुरुआती हफ़्ते में अगर अमेरिकी डॉलर में फिर से गिरावट आती है तो कीमतें 1,20,000 रुपये/10 ग्राम को पार कर सकती हैं। वहीं, यदि वैश्विक मौद्रिक नीति में अचानक सख्ती आती है तो कीमतें 2‑3 हफ़्तों में 1,10,000 रुपये तक गिर सकती हैं। निर्माताओं और निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे “लेवरेज” न करें और केवल वह राशि निवेश करें जिसे वे खोने के लिए तैयार हों।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नवरात्रि के दौरान सोने की कीमतें इतनी तेज़ क्यों बढ़ी?
त्योहारी मांग, अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट और फेड के मौद्रीक नीति की अनिश्चितता ने मिलकर निवेशकों को सुरक्षा के रूप में सोने की ओर आकर्षित किया, जिससे कीमतें तेज़ी से बढ़ीं।
क्या इस उछाल से मध्यम वर्ग के लिए सोना खरीदना अब संभव है?
वर्तमान में 24 कैरेट की कीमत 1,18,000 रुपये/10 ग्राम तक पहुँच गई है, जिससे मध्यम वर्ग के लिए बड़ी मात्रा में खरीदना मुश्किल हो रहा है; छोटे हिस्से या 22 कैरेट विकल्प अधिक प्रचलित हो रहे हैं।
भविष्य में कीमतों में गिरावट की संभावना कितनी है?
यदि अमेरिकी डॉलर फिर से मजबूत हो रहा है या वैश्विक मुद्रास्फीति नियंत्रण में आती है, तो कीमतों में 2‑3 हफ़्ते के भीतर 5‑10 % की गिरावट देखी जा सकती है।
क्या सोना अभी भी एक सुरक्षित निवेश माना जाता है?
सोनें को अक्सर "सेफ‑हेवन" कहा जाता है; वर्तमान अस्थिर बाजार में यह जोखिम‑रहित संपत्ति माना जाता है, लेकिन अल्प‑काल में मूल्य उतार‑चढ़ाव से बच नहीं सकता।
नवरात्रि के बाद कीमतों में क्या बदलाव की आशा है?
त्योहारी सीज़न समाप्त होते ही मांग में थोड़ा गिरावट आ सकती है, परंतु दीर्घकालिक निवेशकों की रुचि के कारण कीमतें स्थायी स्तर पर बनी रह सकती हैं।
1 टिप्पणि
नवरात्रि के दौरान सोने की कीमतों में हुई इस तीव्र उछाल को समझते समय हमें कई आर्थिक संकेतकों को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि ये केवल मौसमी मांग का परिणाम नहीं हैं; यह डॉलर के अवमूल्यन और वैश्विक मौद्रिक नीतियों की अनिश्चितता को भी प्रतिबिंबित करता है। इस संदर्भ में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पोर्टफ़ोलियो में विविधता रखें, ताकि अचानक मूल्य परिवर्तन से बचा जा सके। साथ ही, छोटे निवेशकों को 22 कैरेट विकल्पों पर विचार करना उचित रहेगा, क्योंकि ये बजट के अनुकूल हैं। सरकार की नीतियों का भी इस प्रवृत्ति पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए किसी भी निर्णय से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना समझदारी है। अंत में, मैं यह आशा करता हूँ कि सभी निवेशक इस स्थितिगत परिवर्तन को समझदारी से संभालें और दीर्घकालिक लक्ष्य को न भूलें।