
स्मृति मंधाना का शतक, भारत की निर्णायक जीत
कभी-कभी एक खिलाड़ी का आत्मविश्वास पूरी टीम को बदल देता है। स्मृति मंधाना ने ठीक यही किया। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में तीसरे वनडे में भारत की सलामी बल्लेबाज़ ने 105 रनों की शानदार पारी खेली, जिससे भारतीय महिला टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 6 विकेट से जीत दर्ज कर ली। भारत ने 232 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 44.2 ओवर में 236/4 बना डाले। इस जीत के साथ भारत ने तीन मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से अपने नाम की।
पहले मुकाबले में हार के बाद भारतीय टीम को सीरीज में बने रहने के लिए दबाव के हालात में वापसी करनी थी, लेकिन बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों विभागों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। विशेषकर मंधाना की पारी मैच के हर मोड़ पर टीम को आगे बढ़ाती रही। उनके अलावा कप्तान हरमनप्रीत कौर ने भी टिककर बल्लेबाज़ी की और पार्टनरशिप मजबूत की।

राधा-दीप्ति की स्पिन जोड़ी और न्यूजीलैंड की चुनौती
न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी थी, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। राधा यादव ने पूरी सीरीज में 7 विकेट लेकर कीवी बल्लेबाज़ों को परेशान किया, जबकि दीप्ति शर्मा ने 6 विकेट चटकाए। न्यूजीलैंड की पारी 49.5 ओवर में 232 रनों पर सिमट गई।
न्यूजीलैंड के लिए ब्रूक हेली डे पूरे टूर्नामेंट में सबसे भरोसेमंद बैटिंग करती नजर आईं, जिन्होंने सीरीज में कुल 133 रन बनाए। वहीं जॉर्जिया प्लीमर ने भी 105 रन बनाए। गेंदबाजी में जेस केर और मेली केर ने क्रमश: 5 और 4 विकेट चटकाए, लेकिन भारत के शीर्ष क्रम को रोकना उनके लिए चुनौती रहा।
- भारतीय टीम ने दूसरे वनडे से लय पकड़ी।
- स्पिन डिपार्टमेंट ने कीवी टीम को लगातार दबाव में रखा।
- स्मृति मंधाना ने तेज़ और संतुलित पारी खेली, जिससे लक्ष्य एकतरफा दिखने लगा।
- न्यूजीलैंड की फील्डिंग और डेथ ओवर्स की कमजोरी सामने आई।
इस सीरीज जीत से भारतीय महिला क्रिकेट का आत्मविश्वास नई ऊंचाई पर पहुंचा है। पहले मैच में हार के बावजूद टीम ने ठीक वक्त पर रणनीति बदली और बाकी दोनों मुकाबले दबदबे से जीते। अब सबकी नजरें महिला क्रिकेट के अगले बड़े इम्तिहान पर होंगी, लेकिन अहमदाबाद की ये जीत यकीनन लंबे वक्त तक याद रखी जाएगी।
20 टिप्पणि
महिला क्रिकेट की इस शानदार जीत में स्मृति मंधाना का शतक एक दीपस्तंभ की तरह चमका, जिसने ना सिर्फ स्कोर बोर्ड को बदल दिया बल्कि आत्मविश्वास की नई लहर भी लाई।
इस पारी को देखना ऐसा लगा जैसे कोई पुरानी दास्तान फिर से जीवंत हो उठी, जहाँ हर शॉट में संकल्प की आवाज़ गूँजती थी।
टीम की सामूहिक मेहनत और रणनीतिक बदलाव ने भी इस सफलता में अहम भूमिका निभाई, जिससे विरोधी टीम को निराशा का सामना करना पड़ा।
राधा यादव और दीप्ति शर्मा की स्पिन जोड़ी ने कीवी बल्लेबाज़ों को हर मोड़ पर दबाव में रखा, यही कारण था कि न्यूज़ीलैंड की पारी अपेक्षित से पहले ही खत्म हुई।
इस जीत से भारतीय महिला क्रिकेट को एक नई दिशा मिली है, जहाँ युवा खिलाड़ी आशा की किरण देख सकते हैं।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि इस सीरीज ने हमें सिखाया है कि दृढ़ निश्चय और टीमवर्क से किसी भी चुनौती को मात दी जा सकती है।
बहुत बढ़िया प्रदर्शन।
स्मृति का शतक, क्या वाकई में इतना प्रभावशाली था? वास्तव में, टीम की जीत का श्रेय केवल एक पारी को नहीं, बल्कि क्रमबद्ध रणनीति को दिया जाना चाहिए; लेकिन मीडिया हमेशा ही सितारों को बड़ा बनाता है, यह बात मैं पूरी तरह अस्वीकार करता हूँ! उस दिन के मौसम का भी शायद खेलने में असर पड़ा होगा, फिर भी हमें इस तरह के छोटे-छोटे कारणों में फँसना नहीं चाहिए।
कहानी का नायक बनकर मंधाना ने मैदान में ज्वालाएं भड़काई, हवा के साथ उसके शॉट गूँजे, दर्शकों की दहाड़ें गूँजी।
इस जीत से हमारे युवा खिलाड़ी प्रेरित होंगे, और आने वाले समय में भारतीय महिला क्रिकेट की नई ऊँचाइयों की आशा बढ़ेगी।
सच में, मंदना की पारी तो लिटिल लाइट्स में चमकी सा, एकदम जज्बा दहला दिहिस!!!
क्या आप जानते हैं कि इस जीत के पीछे कुछ छिपे हुए आँकड़े हैं? 🤔 कई अजनबी डेटा पॉइंट्स यह संकेत देते हैं कि मैच के कुछ निर्णयों में संभावित पारदर्शिता समस्या रही हो सकती है। 🕵️♂️
जैसे ही स्पिन घुसी, विरोधी ने बस हार मान ली।
ऐसी जीत सिर्फ एक शतक से नहीं, बल्कि पूरी टीम की अडिग दृढ़ता से सम्भव हुई; मैदान में उन्हें देख कर लगता है जैसे बाढ़ की लहरें भी रुक गई हों!
मैं समझता हूं कि इस जीत से टीम को बहुत आत्मविश्वास मिला होगा और आगे के मैचों में ये ऊर्जा बड़ी मदद करेगी।
इंडिया की शान बढ़ी, क्या टीम ने दिल से खेला! :)
डिज़िटल मैट्रिक्स के भीतर छिपे हुए एल्गोरिद्म्स ने शायद इस गेम को स्क्रिप्टेड बना दिया, जिससे हमारी साइड को अस्थायी एडवांटेज मिला, यह सब झूठा नहीं कहा जा सकता।
वास्तव में, बल्लेबाज़ियों की टकसाल ने खेल बदल दिया।
एक ओर तो हम देख रहे थे कि कैसे स्पिन की टेंशन ने कीवी बॉलर्स को ब्लॉक किया, और दूसरी ओर हमारे फील्डिंग की तेज़ी ने मैच को अंतिम क्षण तक हिलाकर रख दिया, बिलकुल हाई-ऑक्टेन थ्रिलर जैसा!
इयो जीत स्बसे बधाइह हो सबको, चलो आगे भी एसी जीतें!.
सबसे पहले तो मैं टीम को बधाई देना चाहूँगा, उनकी मेहनत और समर्पण वास्तव में सराहनीय है। इस तरह की जीत न सिर्फ व्यक्तिगत खिलाड़ियों को नई ऊँचाइयों तक ले जाती है, बल्कि पूरे माहौल को सकारात्मक बनाती है। आगे के टूर में हमें लगातार इस ऊर्जा को बनाए रखना होगा, क्योंकि स्थिरता ही हमें दीर्घकालिक सफलता दिलाएगी।
मैच की शुरुआत से ही गेंदबाजों की रफ़्तार ने सभी दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
पहले ओवर में राधा यादव ने दो विकेट लिए, जिससे न्यूज़ीलैंड की टॉप ऑर्डर में झटका लगा।
दूसरी तरफ, स्मृति मंधाना ने अपनी तकनीक को परिपूर्ण बनाया और छह लगातार छक्के लगाए।
उसके शॉट्स की ग्रैविटी और टाइमिंग का मिलाप ऐसा था कि विरोधी गेंदबाजों को समझ नहीं आया कि कब बॉल को डिफेंड करना है।
लेकिन केवल एक ही खिलाड़ी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि टीम की फील्डिंग ने भी करिश्मा दिखाया।
दीप्ति शर्मा ने बीच के ओवर में दो महत्त्वपूर्ण विकेटें बरबादी की, जिससे स्कोरबोर्ड पर दबाव बढ़ गया।
वहीं, भारतीय बैट्समैन ने धीरे-धीरे रन बनाते हुए लक्ष्य को सुरक्षित किया।
जैसे-जैसे ओवर आगे बढ़े, दर्शकों की खुशियों की मौज बढ़ती गई, और स्टेडियम की हवा में उत्साह का माहौल बन गया।
ऐसे में, हार के बाद की टीम ने रणनीतियों को पुनः व्यवस्थित किया और अपने प्लान को फिर से परिभाषित किया।
कोच ने बॉलर को बताया कि लाइन और लेंथ में थोड़ी और सटीकता लाने की जरूरत है।
फिर भी, न्यूज़ीलैंड के बॅटरों ने भी कुछ शानदार शॉट्स लगाए, लेकिन उन्हें फील्डिंग के दबाव ने रोक दिया।
अंत में, भारत ने 236/4 के साथ लक्ष्य पार किया और इस जीत ने सभी को गहरा संतोष दिया।
समग्र रूप से, इस जीत ने यह सिद्ध किया कि भारतीय महिला क्रिकेट में बड़ा बदलाव और विकास हो रहा है।
भविष्य में अगर हम इस मनोबल को बनाए रखें तो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और भी बड़ी जीतें सम्भव हैं।
अंततः, मैं सभी खिलाड़ियों को उनके अद्भुत प्रदर्शन के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूँ, और उम्मीद करता हूँ कि यह जीत हमारी नई कहानी की शुरुआत होगी।
क्या कहा जाए, यह जीत तो मानो एक ज्वाले की तरह थी, जिसमें हर शॉट ने धूम्रपात के साथ चमक बिखेर दी!!!
जबकि कई लोग इस जीत को सच्ची महिमा मानते हैं, पर वास्तविकता यह है कि कई असमानताएँ अभी भी बनी हुई हैं, और हमें उन पर भी ध्यान देना चाहिए।
बेस्ट तोहफै में बस एक छोटा सा ट्रीट है, चलो मिलके आगे भी एसी जीतें बनाते रहें।