गुवाहाटी के नेहरू स्टेडियम के मैदान पर जब नीतीश कुमार रेड्डी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में केवल छह ओवर गेंदबाजी की, तो कई फैंस के मन में सवाल उठे — क्या वो अभी भी चोट से ठीक नहीं हुए? लेकिन उसी दिन की शाम, कुलदीप यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ऐसा बयान दिया जिसने सबके सवालों का जवाब दे दिया: "नीतीश पूरी तरह से फिट है। उनकी फील्डिंग बहुत ही कमाल की रही है।" ये बात सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक संदेश थी — कि टीम के लिए ओवर्स की संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता और रणनीति मायने रखती है।
चोट के बाद वापसी की कहानी
नीतीश कुमार रेड्डी की फिटनेस को लेकर संदेह तब शुरू हुआ जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड वनडे के बाद उन्हें जांघ की चोट लग गई। उसके बाद वे पांच मैचों की टी20 सीरीज के पहले तीन मैचों से बाहर रहे। जब वे टीम इंडिया में वापस आए, तो उन्हें तुरंत मौका नहीं मिला। ये वो वक्त था जब टीम ने बल्लेबाजी के लिए अधिक विकल्प चुने, और गेंदबाजी के लिए बुमराह, सिराज और कुलदीप जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी। गुवाहाटी में भी उन्हें सिर्फ छह ओवर मिले — जबकि बुमराह ने 32, सिराज ने 30 और कुलदीप ने 28 ओवर फेंके।
"कोटा नहीं, क्षमता है जरूरी"
कुलदीप यादव ने जियो स्टार के 'फॉलो द ब्लूज' कार्यक्रम में एक बात साफ कर दी: "अगर कोई खिलाड़ी कम ओवर फेंक रहा है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो फिट नहीं है।" उन्होंने बताया कि टेस्ट क्रिकेट में छह गेंदबाज होते हैं, तो अनिवार्य रूप से कुछ खिलाड़ी कम ओवर फेंकेंगे। ये रणनीति है, न कि कमजोरी। नीतीश की फील्डिंग का जिक्र करते हुए कुलदीप ने कहा, "वो बाहरी ओर भी बहुत तेज दौड़ता है, और कैच लेने के लिए उतना ही तैयार है जितना कि गेंदबाजी के लिए।"
कुलदीप यादव: स्पिनर और बल्लेबाज के रूप में अनोखी भूमिका
कुलदीप यादव की खुद की पारी इस टेस्ट में एक अलग ही बात बन गई। उन्होंने भारतीय शीर्ष आठ बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदों का सामना किया — 134 गेंदों में 19 रन बनाए, जो इस टेस्ट में किसी भी भारतीय बल्लेबाज की सबसे लंबी पारी रही। ये सीरीज में 100+ गेंद खेलने वाली केवल दूसरी भारतीय पारी थी, जिससे पहले केएल राहुल ने कोलकाता में 119 गेंदों में 39 रन बनाए थे। उन्होंने वॉशिंगटन सुंदर के साथ आठवें विकेट के लिए 72 रन की साझेदारी की, जिसने टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।
"मैं एक आक्रामक बल्लेबाज हूं," कुलदीप ने कहा। "मेरा काम विकेट लेना है, लेकिन जब बल्लेबाजी का मौका मिले, तो मैं उसे भी पूरी तरह से जियो।" उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत में तीनों प्रारूपों में खेलना बहुत मुश्किल है — जिसके कारण फिटनेस और रिकवरी पर ध्यान देना जरूरी है।
सर्जरी के बाद वापसी: एक नई उम्मीद
कुलदीप यादव खुद भी एक बड़ी चोट से उबर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल सर्जरी की थी, और अभी हाल ही में नेट्स पर वापसी की है। ये एक शुभ संकेत है — न केवल टीम के लिए, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी। उनकी स्पिन गेंदबाजी और बल्लेबाजी की क्षमता भारत के चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के अभियान को मजबूत कर सकती है। अगर वे अगले चार-पांच साल तक फिट रहे, तो वे टेस्ट क्रिकेट में एक अनोखा बल्लेबाज-गेंदबाज बन सकते हैं।
अगले कदम: नीतीश का भविष्य
अब सवाल ये है कि अगले मैच में नीतीश कुमार रेड्डी को कितना मौका मिलेगा? टीम इंडिया के कोच और कप्तान उन्हें एक ऑलराउंडर के रूप में देख रहे हैं — जो बल्ले से अच्छा प्रदर्शन कर सके। उनके टेस्ट करियर में अब तक 386 रन और 8 विकेट हैं, जो एक वादा है, लेकिन अभी तक उनकी बल्लेबाजी अभी तक अपनी पूरी क्षमता नहीं दिखा पाई। अगर वे अगले टेस्ट में 50+ रन बना दें, तो उनकी जगह टीम में अडिग हो जाएगी।
क्या ये टीम की रणनीति बदल रही है?
इस टेस्ट सीरीज में भारत ने एक नया दृष्टिकोण अपनाया है — गेंदबाजों को ओवर्स के बजाय उनकी असरदारता पर फोकस किया जा रहा है। नीतीश के छह ओवर अभी तक कम लग सकते हैं, लेकिन अगर वे उनमें से एक विकेट ले लें, तो वो उस एक ओवर के बराबर हो जाते हैं। ये एक नई दृष्टि है — जहां गुण बहुत ज्यादा मायने रखता है, न कि मात्रा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कुलदीप यादव ने नीतीश रेड्डी की फिटनेस के बारे में क्या कहा?
कुलदीप यादव ने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार रेड्डी पूरी तरह फिट हैं और उनकी फील्डिंग बहुत अच्छी रही है। उन्होंने बताया कि कम ओवर फेंकना फिटनेस का संकेत नहीं है — ये टीम की रणनीति है, जिसमें अनुभवी गेंदबाजों को अधिक ओवर दिए जाते हैं।
नीतीश रेड्डी को क्यों नहीं मिला ज्यादा ओवर?
गुवाहाटी टेस्ट की पहली पारी में भारत ने बुमराह, सिराज और कुलदीप जैसे अनुभवी गेंदबाजों को प्राथमिकता दी, जो अभी भी फिट हैं और लंबे स्पेल फेंक सकते हैं। नीतीश को चोट के बाद धीरे-धीरे वापसी के लिए सीमित ओवर दिए गए, ताकि उनकी शरीर की प्रतिक्रिया देखी जा सके।
कुलदीप यादव की बल्लेबाजी क्यों खास है?
कुलदीप ने इस टेस्ट में 134 गेंदों में 19 रन बनाए, जो इस सीरीज में दूसरी सबसे लंबी भारतीय पारी है। उन्होंने शीर्ष आठ बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदें खेलीं, जो एक स्पिनर के लिए असामान्य है। ये उनकी आक्रामक मानसिकता और टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी की अपनी भूमिका को समझने का सबूत है।
क्या नीतीश रेड्डी अगले टेस्ट में ज्यादा खेलेंगे?
अगर वे अगले मैच में बल्ले से 50+ रन बना दें, तो उनकी जगह टीम में अडिग हो जाएगी। उनकी फील्डिंग और बल्लेबाजी टीम के लिए एक बड़ा लाभ है, खासकर अगर वे तेज गेंदबाजी के साथ ऑलराउंडर की भूमिका निभा सकें।
कुलदीप यादव की सर्जरी के बाद वापसी का क्या मतलब है?
कुलदीप की नेट्स पर वापसी टीम मैनेजमेंट और फैंस के लिए एक शुभ संकेत है। उनकी स्पिन और बल्लेबाजी दोनों ही भारत के चैंपियंस ट्रॉफी 2025 और अगले टेस्ट दौरे के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर वे अगले चार-पांच साल फिट रहे, तो वे टेस्ट क्रिकेट का एक अनोखा खिलाड़ी बन सकते हैं।
क्या टीम इंडिया अब गेंदबाजी में ओवर्स के बजाय गुण पर ध्यान दे रही है?
हां, ये टेस्ट सीरीज में स्पष्ट हो रहा है। टीम अब अनुभवी गेंदबाजों को लंबे स्पेल दे रही है, जबकि नए या रिकवरी पर चल रहे खिलाड़ियों को सीमित ओवर दिए जा रहे हैं। लक्ष्य ये है कि हर ओवर असरदार हो — न कि बस गिनती पूरी हो।
15 टिप्पणि
ये नीतीश का फील्डिंग तो देखो ना, बाहरी ओर से जब वो कैच काटता है तो लगता है जैसे उसके पास दो हाथ और दो पैर हों। कुलदीप ने बिल्कुल सही कहा - ओवर्स की बात नहीं, असर की बात है। अब तो टीम इंडिया बस इन्हीं चीजों पर खेल रही है।
अरे भाई ये सब बकवास है, नीतीश को तो 10 ओवर भी नहीं मिले, ये फिट है क्या? बुमराह ने 32 फेंके, सिराज ने 30, तो नीतीश को 6 ओवर? ये तो बस बचाव है। कुलदीप भी अपनी बल्लेबाजी के चलते बचाव कर रहा है।
ye sab kya likha hua hai?? kya yehi hai india ka cricket future?? kya humne kisi ko 6 over diye toh phir kyun nahi diye 50?? kya yeh bhi strategy hai?? yeh toh galti hai!!
कुलदीप की बात सही है। टेस्ट क्रिकेट में ओवर की संख्या नहीं बल्कि गेंद की गुणवत्ता और उसका असर जरूरी है। नीतीश की फील्डिंग और बल्लेबाजी की क्षमता अगर एक बार फिर से दिख जाए तो वो टीम के लिए बहुत बड़ा एडवांटेज होगा। धैर्य रखें।
ये टीम इंडिया का नया एल्गोरिदम है - ओवर ऑप्टिमाइजेशन के साथ एक्टिविटी लेवल मॉनिटरिंग। नीतीश का रिकवरी प्रोटोकॉल बहुत स्मार्टली डिज़ाइन किया गया है। इसका फॉलोअप एनालिसिस लेंगे तो ये रिसर्च पेपर बन जाएगा।
कुलदीप जी तो बिल्कुल बाप बन गए 😍 बल्लेबाजी करते हुए 134 गेंदें खेलना? ये तो लगता है जैसे उनके हाथ में बल्ला और गेंद दोनों हैं। नीतीश भी ठीक है, बस थोड़ा और समय दो भाई 🙏
अरे भाई, ये जो लोग कहते हैं नीतीश फिट है - वो शायद टीवी पर देखकर बोल रहे हैं। अगर वो फिट होते तो 10 ओवर फेंकते? ये तो बस नियंत्रण का खेल है। इंडिया का क्रिकेट अब एक राजनीति बन गया है।
ये बात सुनकर दिल खुश हो गया! कुलदीप ने बिल्कुल सही कहा - ओवर नहीं, असर चाहिए! नीतीश की फील्डिंग तो बहुत ही जबरदस्त है, और बल्लेबाजी में भी वो अच्छा है! बस थोड़ा और मौका दो, वो तो टीम का असली गोल्डन बॉय है! 💪🔥
कुलदीप की बात बिल्कुल सही है। टेस्ट क्रिकेट में ओवर्स की गिनती नहीं, बल्कि गेंद की ताकत और विकेट का असर देखना होता है। नीतीश को धीरे-धीरे वापसी देना बहुत समझदारी से किया गया है। उनकी फील्डिंग और बल्लेबाजी दोनों ही टीम के लिए बहुत जरूरी हैं।
हमारे खिलाड़ी बहुत कमजोर हो रहे हैं। नीतीश को छह ओवर देना बहुत बुरी बात है। अगर ये तरीका चलता रहा तो भारत क्रिकेट में बाहर हो जाएगा। बुमराह को तो रखो, लेकिन नीतीश को भी दो।
ये सब बकवास है, नीतीश को तो बस चोट के बाद फिर से शुरू करना है। ओवर नहीं देना तो फिर खेल क्यों लाया? ये टीम तो बस बहाने बना रही है।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक बड़ा गेम है? कुलदीप की बल्लेबाजी, नीतीश की फील्डिंग - ये सब एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। ये फिटनेस नहीं, ये एक फिलॉसोफी है। आप जो देख रहे हैं, वो सिर्फ एक छल है।
नीतीश को ओवर नहीं मिले। बस।
कुलदीप की बात सही है, लेकिन मुझे डर है कि नीतीश को अगले मैच में भी इतना ही मौका मिले। उनकी फील्डिंग तो बहुत अच्छी है, लेकिन बल्लेबाजी भी दिखनी चाहिए।
ये टीम का नया डेटा-ड्रिवन अप्रोच है। ओवर्स की बजाय एफेक्टिवनेस मैटर्स। कुलदीप की 134 गेंदें और नीतीश की फील्डिंग दोनों ही इसी का हिस्सा हैं। ये रणनीति समय के साथ फलेगी।