IPL 2025 फाइनल: RCB ने पंजाब किंग्स को 6 रन से हराकर पहली बार जीता खिताब

IPL 2025 फाइनल: RCB ने पंजाब किंग्स को 6 रन से हराकर पहली बार जीता खिताब
4 जून 2025 Anand Prabhu

18 साल की इंतजार के बाद RCB की पहली जीत

आईपीएल इतिहास में जो टीम हमेशा ट्रॉफी के करीब पहुंचकर चूक जाती थी, वही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) आखिरकार 2025 में अपने IPL 2025 खिताब का सपना पूरा कर बैठी। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुए फाइनल में RCB ने पंजाब किंग्स (PBKS) को 6 रन से हराकर वो मुकाम हासिल कर लिया, जिसका फैंस सालों से बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

मैच में बैंगलोर ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। शुरुआत में विराट कोहली ने एक बार फिर टीम को संभाला और 35 गेंदों में 43 रन बनाए। उनका संयम, मैदान पर मौजूदगी और शॉट सिलेक्शन फाइनल मुकाबले के दबाव में खास नजर आया। इसके अलावा, अंतिम ओवरों में डीके और रजत पाटीदार ने कुछ अहम रन जोड़े और टीम ने 20 ओवर में 190/9 रन बना दिए। पंजाब की ओर से अर्शदीप सिंह ने 3 विकेट लिए, वहीं काइल जैमीसन ने 3/48 का योगदान दिया।

पंजाब की जुझारू कोशिश और RCB के गेंदबाजों का दबदबा

पंजाब किंग्स को पहली बार चैंपियन बनने का सपना पूरा करने के लिए 191 रनों की दरकार थी। मगर मयंक अग्रवाल और कप्तान लियम लिविंगस्टन जल्दी पवेलियन लौट गए। इसके बावजूद, शशांक सिंह ने मैच का रंग पलटने की पूरी कोशिश की। उन्होंने महज़ 30 गेंदों में नाबाद 61 रन ठोककर पंजाब फैंस की उम्मीदें जिंदा रखीं। जोश इंग्लिस ने भी 23 गेंदों में 39 रन जोड़े।

आखिरी ओवरों में जब पंजाब को 30 गेंदों में 44 रन चाहिए थे, क्रुणाल पांड्या ने अपने कोटे के चार ओवरों में सिर्फ 17 रन देकर दो विकेट चटकाए। उनकी गेंदें इतनी सटीक थीं कि पंजाब के बल्लेबाज बड़ा शॉट लगाने में बार-बार नाकाम रहे। भुवनेश्वर कुमार (2/38) ने भी अहम मौकों पर विकेट लेकर पंजाब पर दबाव बनाए रखा। आलम ये रहा की आखिरी ओवर में पंजाब को 15 रन चाहिए थे, लेकिन शशांक के बावजूद टीम सिर्फ 184/7 तक ही पहुँच सकी।

फाइनल में दबाव को झेलना आसान नहीं होता, लेकिन RCB के युवा कप्तान रजत पाटीदार और पूरी टीम ने संयम से काम लिया। जीत के बाद मैदान पर खिलाड़ियों की खुशी साफ देखी जा सकती थी। 2008 से खिताब के लिए तरस रही टीम को आखिरकार 18 साल बाद सफलता मिली। फैंस की आंखों में आंसू थे, स्टेडियम में आरसीबी... आरसीबी के नारे गूंज रहे थे।

किसी फिल्मी कहानी की तरह ये मैच भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। एक छोर पर RCB का इंतजार खत्म हुआ, दूसरी ओर पंजाब किंग्स के लिए फिर अधूरा सपना रह गया। लेकिन शशांक सिंह की पारी और अर्शदीप सिंह की धारदार गेंदबाजी ने दिखाया कि पंजाब भी कमतर नहीं है। बस, किस्मत ने साथ नहीं दिया।

इसे साझा करें:

8 टिप्पणि

Sunil Kumar
Sunil Kumar जून 4, 2025 AT 18:47

आह, 18 साल बाद आखिरकार RCB ने ट्रॉफी जकड़ ली, जैसे देर से पहुंचा कोई टैक्सी ड्राइवर जो देर से पहुंचा तो मीटर में चार्ज बढ़ा देता है। टीम ने आखिरी ओवर तक धंधे में सुबह का नाश्ता नहीं छोड़ा, लेकिन फिर भी बस एक छोटे कदम से जीत हासिल कर ली। विराट की सैकड़ा बनाने वाली नहीं, बल्कि फाइनल की टेंशन में खुद को संभालने वाली भूमिका इस बार कमाल की थी। शशांक के 61 रन की चमक को देख कर लगता है जैसे बारिश में गाड़ी के windshield वाइपर फ्री हेल्प मिल गई हों। कुल मिलाकर, RCB के फैंस को अब बैंड बाजा बजाने का लाइसेंस मिल गया - आखिरकार ये ड्रामा समाप्त हुआ।

Ashish Singh
Ashish Singh जून 7, 2025 AT 02:20

देश के गौरव की अभिव्यक्ति में इस जीत को राष्ट्रीय आत्मविश्वास के एक निहितार्थ के रूप में देखना चाहिए।

ravi teja
ravi teja जून 9, 2025 AT 09:53

वाह भाई, आखिरकार RCB ने अपने सपने को हकीकत बना दिया! फाइनल में रोचक लडाई देख कर मज़ा आ गया, सच में। ऐसे ही टीम को आगे भी समर्थन देते रहेंगे।

Harsh Kumar
Harsh Kumar जून 11, 2025 AT 17:27

सच में दिल खुश कर देने वाली जीत है 😄✨ RCB का धैर्य और भरोसा इस जीत में झलकता है, और फैंस की खुशी तो देखो ही रहे – जैसे ग़ली में बिजली का झटका! ऐसे मोमेंट्स हमें याद दिलाते हैं कि मेहनत और विश्वास से कुछ भी संभव है 🙌🏆

suchi gaur
suchi gaur जून 14, 2025 AT 01:00

लगता है अब RCB ने अपनी असली शिल्पकला दिखा दी है, 🎭✨ इस जीत से पहले के साल वैसा ही थे जैसे अधूरी कड़ी कथा। आगे भी ऐसे ही चमकते रहो! 😎

Rajan India
Rajan India जून 16, 2025 AT 08:33

भाई, ये जीत तो बिल्कुल चाय की चुस्की जैसा मज़ेदार था, बिना किसी बग़ैर। टीम ने दिखा दिया कि धीरज और टीमवर्क का क्या मतलब होता है। अब अगले सीज़न का इंतज़ार भी बस वैसा ही रहेगा, जैसे सर्दी में गरम चाय।

Parul Saxena
Parul Saxena जून 18, 2025 AT 16:07

जब हम इस जीत को देखते हैं तो यह एक गहरा दार्शनिक प्रश्न उभरता है कि क्या महज़ खेल की जीत ही जीवन में सार्थकता का पैमाना है या फिर इस जीत के पीछे छिपी कहानियों में हमें अपना अस्तित्व मिलता है। RCB की इस पहली ट्रॉफी की खुशी केवल एक अंक नहीं बल्कि यह दर्शाता है कि निराशा के बाद भी आशा का दीप जलाया जा सकता है। 18 साल का इंतजार एक लंबी यात्रा की तरह था, जिसमें हर असफलता एक पाठ था और हर निराशा एक इमारत थी। इस जीत ने हमें सिखाया कि धैर्य वह कड़ी होती है जो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी टूटती नहीं। बेंगलुरु की टीम ने दिखाया कि जब अंतरात्मा में विश्वास हो तो कोई भी बाधा अपरिचित नहीं रहती। शशांक की पारी, विराट की निरंतरता और रजत की नेतृत्व क्षमता एक सामूहिक symphony बन गई, जिसके हर नोट में टीम की एकजुटता गूँजती है। इस प्रकार, विजय सिर्फ स्कोर बोर्ड पर अंक नहीं बल्कि आत्मा में उकेरे गए नये सिरे के मानदण्ड बन जाती है। अब फैंस की आँखों में आंसू केवल खुशी नहीं, बल्कि उन सभी भावनाओं का मिश्रण है जो उन्होंने इस लंबे सफर में संजोया था। हम इस जीत को केवल एक खेल की समाप्ति नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत के रूप में देख सकते हैं, जहाँ सबक सीखकर आगे बढ़ना ही वास्तविक लक्ष्य बन जाता है। इस जीत ने दर्शाया कि कभी भी हार को अंत नहीं माना जाना चाहिए; यह केवल एक मोड़ है, जो हमें फिर से उन्नति की राह पर ले जाता है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि व्यक्तिगत लक्ष्य और सामुदायिक भावना का संतुलन ही सफलतम फॉर्मूला है। अंत में, यह जीत इस बात का प्रमाण है कि जब सभी दिशाओं से समर्थन मिलता है, तो कोई भी लक्ष्य बहुत दूर नहीं रहता। इस जज्बे को आगे भी बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यही जज्बा ही भविष्य की चुनौतियों को पार करने की कुंजी है। हमारे दिलों में अब एक नया आदर्श स्थापित हो गया है-कि "इंतज़ार" एक क्षणभंगुर भावना नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प का नाम है।

Ananth Mohan
Ananth Mohan जून 20, 2025 AT 23:40

इस विस्तृत विश्लेषण को पढ़कर लगता है कि जीत में टीम वर्क प्रमुख रहा। एकल सफलता नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास ने ट्रॉफी दिलवाई। भविष्य में इसी भावना को बरकरार रखें।

एक टिप्पणी लिखें