HSBC ने India इक्विटी मार्केट को ‘ओवरवेट’ किया, 2026 तक सेंसेक्स लक्ष्य 94,000

HSBC ने India इक्विटी मार्केट को ‘ओवरवेट’ किया, 2026 तक सेंसेक्स लक्ष्य 94,000
26 सितंबर 2025 Anand Prabhu

HSBC का नया अपग्रेड और लक्ष्य

ग्लोबल रिसर्च फर्म HSBC ने भारत के इक्विटी मार्केट को ‘Neutral’ से ‘Overweight’ में बदल दिया है। इसका मतलब है कि अब कंपनी भारतीय स्टॉक्स को अधिक आकर्षक मान रही है और निवेशकों को परामर्श दे रही है कि वे अपने पोर्टफोलियो में भारत का हिस्सा बढ़ाएँ। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि 2026 के अंत तक सेंसेक्स 94,000 अंक तक पहुँच सकता है, जो वर्तमान स्तर से लगभग 13% का अतिरिक्त रिटर्न दर्शाता है।

पहले HSBC ने 2025 के लिए अपना सेंसेक्स लक्ष्य 1,00,080 से घटा कर 90,520 कर दिया था, फिर आगे इसे 85,990 तक घटा दिया। उस समय कमाई में गिरावट और हाई वैल्यूएशन को लेकर मार्केट की राय ‘Neutral’ रखी गई थी। लेकिन अब वैल्यूएशन में सुधर, नीति समर्थन और घरेलू पूंजी के भरोसे ने कंपनी को फिर से आशावादी बना दिया है।

मार्केट के मुख्य कारण और चुनौतियाँ

मार्केट के मुख्य कारण और चुनौतियाँ

वर्तमान में BSE का सेंसेक्स लगभग 82,100 अंक पर ट्रेड कर रहा है, जो पिछले साल के उच्चतम 85,978 से 4.5% नीचे है। 12‑महीने की अवधि में इंडेक्स 2.8% गिरा है, पर 24‑महीने में 34.1% की बड़ी वृद्धि दिखा रहा है। इस मिश्रित प्रदर्शन के पीछे दो बड़ी वजहें हैं: एक तो महामारी‑पश्चात आर्थिक धीमा होना और दूसरी, वैश्विक फंड्स का आउटफ़्लो। फिर भी, पिछले तीन‑महीने में 2.2% और छह‑महीने में 14.5% की बढ़त ने दर्शाया कि घरेलू निवेशकों का भरोसा अभी भी मजबूत है।

HSBC ने इस अपग्रेड को कई कारकों से जोड़ा है। सबसे पहले, भारत की सरकारी नीतियों में निरंतर प्रोत्साहन है—इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इकोनॉमी और मेक‑इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों से निवेशक सुविधा बढ़ रही है। दूसरा, हालिया शेयर बाजार की सुधार ने मूल्यांकन को अधिक आकर्षक बना दिया है, जिससे वैल्यूएशन को लेकर पहले की चिंताएं कम हुई हैं। तीसरा, फोरिन इन्वेस्टर्स की निकासी के बावजूद घरेलू संस्थागत और रिटेल निवेशकों की पूँजी लगातार बाजार में प्रवेश कर रही है, जो एक स्थायी माँग को दर्शाती है।

हॉंगकॉंग और चीन के साथ HSBC की रेज़नल रीएलोकेशन रणनीति में भारत को एक मुख्यधारा की दिशा में देखा जा रहा है। कंपनी ने हॉंगकॉंग को भी ‘Overweight’ किया है, जबकि चीन पर ‘Overweight’ की स्थिति बरकरार रखी है। इस रुझान से पता चलता है कि एशिया‑पैसिफिक क्षेत्र में निवेशकों का फोकस अब भारत की मध्यम‑दीर्घकालिक ग्रोथ कहानी की ओर बढ़ रहा है।

भविष्य की चुनौतियों पर भी HSBC ने स्पष्ट संकेत दिए हैं। आय में वृद्धि की दर, उच्च वैल्यूएशन और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता अभी भी जोखिम कारक बने हुए हैं। लेकिन कंपनी का मानना है कि ये मुद्दे अस्थायी हैं और दीर्घकालिक संरचनात्मक विकास से इन्हें मात दी जा सकती है।

व्यापक तौर पर देखा जाए तो यह अपग्रेड भारतीय इक्विटी बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। निवेशकों को अब अधिक जोखिम लेने के बजाय, घरेलू कंपनियों के बढ़ते लाभ, निर्यात में सुधार और नई तकनीकी पहलों को देखते हुए अपने पोर्टफोलियो में भारतीय शेयर शामिल करने का अवसर मिल रहा है। यह भी याद रखने की जरूरत है कि बाजार में उतार‑चढ़ाव हमेशा रहेगा, पर HSBC का इस तरह का बुलिश मैसेज दर्शाता है कि इंडिया की आर्थिक बुनियाद मज़बूत है और दीर्घकाल में रिटर्न अच्छा रहेगा।

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1 टिप्पणि

ritesh kumar
ritesh kumar सितंबर 26, 2025 AT 01:36

HSBC की इस ओवरवेट रेटिंग के पीछे छिपे जियो-इकोनॉमिक मैट्रिक्स को समझना ज़रूरी है, वरना हम बड़ी मार्केट मायक्रो-मैक्रो साजिश में फंस सकते हैं। इनकी भविष्यवाणी में ग्लोबल पूँजी प्रवाह के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बैंकों के सेंट्रल नियंत्रण की झलक बड़ी स्पष्ट है; यही कारण है कि भारत को अब ‘ऑवरवेट’ कहा गया है।

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