तीसरा ODI: तनाव‑पूर्ण अंत और भारत का शानदार जीत
रिवरसाइड ग्राउंड में खेला गया तीसरा ODI, भारत महिला और इंग्लैंड महिला के बीच एक सच्ची दांव पाल रही थी। एक ही ओवर में पत्थर‑पत्थर तक लड़ते हुए, भारत ने 318/5 का लक्ष्य चिह्नित किया, जिसमें हर्मनप्रीत कौर शतक ने टीम का नेतृत्व किया। इस शतकीय परफ़ॉर्मेंस ने भारत को आत्मविश्वास दिया और इंग्लैंड को पीछे धकेल दिया।
इंग्लैंड का चेज़ 305/10 से खत्म हुआ, जब अंतिम ओवर में 23 रन चाहिए थे। लिंसी स्मिथ और लॉरेन बेल ने छक्के मारने की कोशिश की, पर लास्ट बॉल पर हर्मनप्रीत ने महत्त्वपूर्ण कैच करके जीत को पुख्ता किया।
मुख्य आँकड़े और खेल के नायकों की झलक
मैच की सबसे बड़ी बातें नीचे दी गई हैं:
- हर्मनप्रीत कौर – 108 रन (सदी) , 105 बॉल, 6 चौके, 2 छक्के
- क्रांती गौड – 6 विकेट, 52 रन, 10 ओवर
- नेटलि स्किवर‑ब्रंट (इंग्लैंड) – 98 रन, 105 बॉल, 9 चौके, 1 छक्का
- एमा लैम्ब – 53 रन, 46 बॉल, 5 चौके, 1 छक्का
- दीक्षित शर्मा – एक‑हाथ में जबरदस्त कैच, फील्डिंग की तारीफ़
क्रांती के स्पिन ने इंग्लैंड की टॉप ऑर्डर को बार‑बार जकड़ दिया। उनके दो विभिन्न प्रकार के डोमेज़ (कट और ड्रॉप) ने शख़्सियत में अंतर ला दिया और अंत में टीम को जीत की ओर धकेला। दूसरा बड़ा मोमेंट था हर्मनप्रीत का थ्रिलिंग फील्डिंग – मैच के आखिरी ओवर में उनका सेंटरिंग कैच इंग्लैंड की उम्मीदों को तोड़ गया।
इंग्लैंड ने भी हार मान नहीं ली। स्किवर‑ब्रंट का 98‑रन का प्रयास और लैम्ब का अर्द्ध शतक टीम को आख़िरी क्षण तक जीवित रखे। दोनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्लास दिखा दी, पर भारत का कुल स्कोर और गौड की चारपाई ने उन्हें मजबूर कर दिया।
सिरीज़ का यह फाइनल मैच न केवल खेल का रोमांच था, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के विकास की कहानी भी बोला। दो जीत, एक हार और एक स्थायी आत्मविश्वास, यह साबित करता है कि भारतीय महिलाओं ने इंग्लैंड जैसे कठिन पिच पर भी जीत हासिल कर ली है। इस जीत से टीम के दांव‑पेंच में नई ऊर्जा का संचार होगा और भविष्य के टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद उठेगी।
18 टिप्पणि
वाह! हर्मनप्रीत ने तो धूम मचा दी।
हर्मनप्रीत की पर्ची ने पूरी टीम को उत्साहित कर दिया, खासकर पिच पर स्पिन वाले गोलों को रोकना मुश्किल था। क्रांती गौड ने फिर भी अपने स्पिन से इंग्लैंड की टॉप लाइन को जकड़ दिया, यही कारण था कि वे सिर्फ 52 रन पर ही वापस आए।
मैच का सबसे रोमांचक पल लास्ट ओवर में था जब हर्मनप्रीत की कैच ने जीत को पक्की कर दी। इसे हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा मान सकते हैं।
यहाँ तक कि अगर हम क्रिकेट की गहरी दार्शनिक पहलू देखे तो हर्मनप्रीत की सदी यह बताती है कि निरंतरता और ध्येय में शक्ति रहती है। विचार यही है कि कोई भी क्षणिक बिंदु नहीं, बल्कि निरंतर अभ्यास ही जीत की गाथा लिखता है।
क्रांती का डोमेज़ खासकर कट और ड्रॉप दोनों ने इंग्लैंड को बार‑बार अफ़रातफ़र में डाल दिया। उनकी लंबी रेंज और सटीकता ही चीज़ थी जिसने विरोधी को रोक दिया।
हमें सच में इस जीत पर बहुत खुशी नहीं होनी चाहिए; कभी‑कभी जीत से ज्यादा खेल की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। इंग्लैंड की स्किवर‑ब्रंट की 98 रन की कोशिश भी सराहनीय थी, परंतु भारतीय बल्लेबाज़ों ने थोड़ा ज्यादा जोखिम ले लिया।
भाई, खेल तो खेल था, लेकिन हर्मनप्रीत की स्ट्राइक रेट ऊँची थी, यही बात हमें याद रखनी चाहिए। क्रांती की गेंदबाज़ी में थोड़ा विविधता लाने से शायद और भी बेहतर परिणाम मिलते।
लगता है अब भारत की महिला टीम ने सबको दिखा दिया कि "ड्रामा" सिर्फ टीवी पर नहीं, मैदान पर भी असली है। क्रांती की 6 विकेट और हर्मनप्रीत की सदी, दोनों मिल कर एकदम "बॉम्ब" थे।
ऐसे महत्वपूर्ण मैचों में केवल आँकड़े ही नहीं, खेल की शालीनता भी बेहतरीन होनी चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि खेल का मूल उद्देश्य सम्मान और एकता को बढ़ावा देना है, न कि केवल जीत‑पराजय की गिनती।
भाई लोग, मैच का फिनिश लाइन में बहुत कूल था, वो आखिरी कैच देख कर दिल खुश हो गया। हर्मनप्रीत की फील्डिंग ने पूरी टीम को मोटीवेट किया।
👍 भाई, ये जीत हमारी महिला टीम के लिए बहुत बड़ी है! 🙌
✨ क्या शानदार प्रदर्शन था, लेकिन अगले मैच में रणनीति को और परिपक्व बनाना होगा। 😊
हम्म, देखो, इस जीत से हमें यह सीखना चाहिए कि टीम की समन्वयता कितनी जरूरी है; क्रांती के स्पिन और हर्मनप्रीत की बैटिंग दोनों ही एक ही धागे से जुड़े थे। इसी तरह की तालमेल से ही बड़ी जीतें मिलती हैं।
यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के समुचित विकास का प्रतीक है। पहले दिन की तैयारी में, खेल विशेषज्ञों ने बताया था कि पिच पर लिये गए स्पिन के विकल्प सही नहीं हो सकते, लेकिन हमारी टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया और लड़ाई का नया स्वरुप पेश किया। हर्मनप्रीत का शतक, जो 108 रन 105 गेंदों पर बना, न सिर्फ उसकी तकनीकी परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि वह दिखाता है कि कैसे एक क्लासिक खेल में निरंतरता और धीरज का रोल अहम होता है। क्रांती गौड ने अपने स्पिन के दो प्रकार-कट और ड्रॉप-को बारीकी से इस्तेमाल किया, जिससे इंग्लैंड की टॉप ऑर्डर को बार‑बार जकड़ दिया गया। उनकी 6 विकेट और 52 रन की सीमित रेंज एक रणनीतिक सफलता थी, जिससे मैच का मोड़ स्पष्ट रूप से भारतीय पक्ष को मिला। इंग्लैंड की स्किवर‑ब्रंट ने 98 रन बनाए, जो स्वयं में एक शानदार प्रयास था, परन्तु टीम की समग्र योजना में वह एकाकी रूप से नहीं टिक पाई। एमा लैम्ब के अर्द्ध शतक ने इंग्लैंड को आख़िरी क्षण तक जीवित रखा, पर प्रतिपक्षी के पास उस समय कोई गोलभेसुरता नहीं थी। मैच के दौरान, हमारे फील्डर्स ने भी कमाल का प्रदर्शन किया, विशेषकर दीक्षित शर्मा की एक‑हाथ में ली गई कैच ने खेल को आगे बढ़ाया। वास्तव में, इस जीत से एक बात स्पष्ट होती है कि भारतीय महिलाओं ने न केवल तकनीकी रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत मजबूत विकास किया है। भविष्य में, इस प्रकार की जीतों से टीम में आत्मविश्वास का संचार होगा और वह नई ऊर्जा के साथ आगे के टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी। भारी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, हमारी टीम ने दिखा दिया कि मन, शरीर और रणनीति का सही संतुलन कैसे बनाते हैं। समग्र रूप से, यह मैच हमारी महिला क्रिकेट टीम के लिए एक प्रेरणा है, जो आने वाले वर्षों में और भी बड़े मंचों पर अपना जलवा बिखेर सकती है। इस जीत के बाद, हमें अपने खिलाड़ियों को और अधिक समर्थन देना चाहिए, ताकि वे निरंतर इस शैली को बढ़ाते रहें। अंत में, यह जीत केवल एक स्कोर नहीं, बल्कि एक नई आशा और विश्वास की कहानी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
वाकई, यह विस्तृत विश्लेषण दर्शाता है कि किन बिंदुओं पर टीम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और किन क्षेत्रों में सुधार आवश्यक है।
क्या बात है! भारत के महिला खिलाड़ी ने आज फिर से दिखा दिया कि कैसे बड़े मंच पर दबाव को संभालते हैं; इस जीत की खुशी में हमें सब को मिलकर जश्न मनाना चाहिए!!!
हँसी आती है कि ऐसे बड़े एनीवन में बिन्दु-भेद नहीं, बस खेल।
इस जीत से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय महिला क्रिकेट को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से मान्यता मिलनी चाहिए; यह जीत केवल एक खेल नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।
हुह, कभि‑कभि एंव लिखते-समे “हिंदी” में थोड़ी गलती हो जाती है, पर मज़ा आता ही है।