
जब जितेंद्र यदव, IAS अधिकारी (2019 बैच, छत्तीसगढ़ कैडर) को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजनांदगांव के नए कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट बनाया गया, तब सभी की नज़रें इस बड़े शाफ़ल पर टिकी। यह बदलाव विष्णु देव साई, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, के नेतृत्व में किए गए 14 IAS अधिकारियों के क्रमिक स्थानांतरण का हिस्सा था। पिछले कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भरन के केन्द्रीय डिप्यूटेशन के बाद इस खालीपन को भरना तत्काल जरूरत बन गया। साथ ही, डॉ. फरिया आलम सिद्दीकी को खाद्य विभाग के निदेशक के रूप में पुनः नियोजित किया गया, तथा वरिष्ठ अधिकारी रेनु पिल्लै और सुब्रत साहु को सचिवालय से हटाया गया। यह व्यापक पुनर्संरचना राजनांदगांव जैसे ग्रामीण‑त्रैबाइल जिलों की विकासात्मक प्राथमिकताओं को तेज़ करने के उद्देश्य से की गई।
राजनांदगांव में नए कलेक्टर का परिचय
जितेंद्र यदव ने अपने पदभार ग्रहण करने के बाद तुरंत स्थानीय प्रशासनिक टीम से मुलाकात की। उन्होंने कहा, "त्रैबाइल कल्याण और कृषि उत्पादन दोनों को बढ़ावा देना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है, और इसके लिए मैं सभी विभागीय नेताओं के साथ मिलकर काम करूंगा।" रायपुर के राजनांदगांव जिला के प्रमुख किसानों ने इस बदलाव को "समय की माँग" कहा, क्योंकि पिछले साल से जल संसाधन प्रबंधन में कई चुनौतियां रही थीं।
ब्यूरोक्रेटिक पुनर्संरचना की पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में तीन बड़े प्रशासनिक शाफ़ल हुए थे, पर 14 अधिकारी एक साथ बदलना दुर्लभ है। विभागीय पुनर्संरचना का प्रमुख कारण राज्य सरकार की पर्यटन एवं प्रतिभा विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार शिक्षा, ऊर्जा, वित्त और जनजाति कल्याण में गति लाना था। इस क्रम में, लोकेश कुमार को लेबर विभाग में डिप्टी सेकरेटरी का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया, जिससे श्रम संरक्षण को त्वरित कार्यान्वयन मिल सके।
मुख्य पदों पर नियुक्तियां और बदलाव
- जितेंद्र यदव – राजनांदगांव जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट
- डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भरन – केंद्रीय डिप्यूटेशन (विवरण सार्वजनिक नहीं)
- डॉ. फरिया आलम सिद्दीकी – खाद्य विभाग की निदेशक
- रेनु पिल्लै तथा सुब्रत साहु – सचिवालय के वरिष्ठ पदों से विमुक्त
- लोकेश कुमार – लेबर विभाग में अतिरिक्त डिप्टी सेकरेटरी
इन नियुक्तियों के पीछे छत्तीसगढ़ अधिकारी भर्ती आयोग ने कहा कि "प्रयास है कि योग्य प्रतिभा को सही समय पर सही पोस्ट पर लाया जाए"। यह कदम सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना गया।

राजनीतिक एवं विकासात्मक प्रभाव
विष्णु देव साई के शासनकाल में, सरकार ने विकास के लिए बेंचमार्क सेट किया है: 2025 तक जनजातियों के लिए बुनियादी सुविधाओं में 30% की वृद्धि, तथा प्रत्येक जिले में डिजिटल साक्षरता को 80% तक पहुँचाना। राजनांदगांव में नई व्यवस्था के बाद, स्थानीय उद्यमियों ने कहा कि वह "सरकारी मंज़ूरी प्रक्रियाओं में तेज़ी" की आशा कर रहे हैं। इस शाफ़ल से, राज्य के दूसरे जिलों में भी समान पुनर्संरचना की संभावना बढ़ी है, खासकर उन जिलों में जहाँ ऊर्जा परियोजनाओं में देरी हो रही थी।
आगे का द्रढ़्य और संभावित चुनौतियां
जितेंद्र यदव को अब यह देखना होगा कि कैसे वे शिक्षा संस्थानों के नवीनीकरण, जल प्रबंधन और जनजाति कल्याण योजनाओं को शीघ्र और प्रभावी बना सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, "सिर्फ पदों का बदलाव पर्याप्त नहीं, कार्यान्वयन में स्थानीय जुड़ाव और डेटा‑संचालित निर्णय लेना ज़रूरी है"। इसके अलावा, रेनु पिल्लै और सुब्रत साहु जैसे अनुभवी अधिकारियों का अभाव प्रशासनिक गति को धीमा कर सकता है, यदि वैकल्पिक समाधान जल्दी नहीं निकाले गए। फिर भी, राज्य सरकार ने पहले ही कहा है कि नए नियुक्त अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जाएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जितेंद्र यदव की नई नियुक्ति का राजनांदगांव के किसानों पर क्या असर पड़ेगा?
कृषि सुधार योजना के तहत यदव ने सिंचाई परियोजनाओं को तेज़ करने का वादा किया है। यदि उनकी टीम जल वितरण में सुधार कर पाती है, तो फसल उत्पादन में 15% तक की बढ़ोतरी की संभावना है, जैसा कि पिछले वर्ष के डेटा से साबित हुआ।
विष्णु देव साई की सरकार क्यों इतनी बड़ी प्रशासनिक शाफ़ल कर रही है?
मुख्य कारण है तेज़ी से विकास लक्ष्यों को हासिल करना। शिक्षा, ऊर्जा, वित्त और जनजाति कल्याण जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट मीट्रिक तय किए गए हैं, और उन्हें पूरा करने के लिए सही ऐडमिनिस्ट्रेटर को सही जगह पर रखना ज़रूरी माना गया।
डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भरन का केंद्रीय डिप्यूटेशन किस विभाग में हुआ?
सरकारी सूचना के अनुसार उनका स्थानांतरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान है कि वह मौजूदा केंद्र सरकार की योजना एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में कार्य करेंगे।
राजनांदगांव में नई प्रशासनिक टीम के सामने मुख्य चुनौतियां क्या हैं?
जल अभाव, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा की कमी मुख्य मुद्दे हैं। इनको सुलझाने के लिए सरकार ने अगले दो साल में 200 करोड़ रुपये का विशेष फंड आवंटित करने की घोषणा की है।
क्या यह शाफ़ल भविष्य में और भी बड़े बदलाव लाएगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की व्यापक पुनर्संरचना एक मॉडल बन सकती है। यदि राजनांदगांव में सकारात्मक परिणाम दिखते हैं, तो अन्य जिलों में भी समान प्रशासनिक पेंट्री लागू करने की संभावना बढ़ेगी।
1 टिप्पणि
यार ये शाफ़ल तो दिल धड़का दे! फिर भी कई लोग कहते हैं कि ये सिर्फ़ दिखावा है, पर मैं तो मानता हूँ असली इम्पैक्ट के पीछे सच्ची मेहनत है - सिर्फ नाम नहीं। देखो तो सही, नई कलेक्टर के साथ क्या‑क्या बदलेगा, उम्मीद है कई सेकंड में ये बदलाव ज़मीन पर उतरेंगे!