चक्रवात 'मोंथा' ने छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को रोक दिया, किसानों की फसलें खतरे में

चक्रवात 'मोंथा' ने छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को रोक दिया, किसानों की फसलें खतरे में
30 अक्तूबर 2025 Anand Prabhu

बुधवार की सुबह छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में बारिश की बूंदें गिरने लगीं, लेकिन यह कोई साधारण बारिश नहीं थी। चक्रवाती तूफान 'मोंथा' का असर अब बंगाल की खाड़ी से दूर तक फैल चुका था। ट्रेनों के पहिए रुक गए, किसान अपनी फसलों को तिरपाल से ढक रहे थे, और मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर दी — अगले 24 घंटे तक यह तूफान अपनी ताकत बनाए रखेगा। वाल्टेयर लाइन पर चलने वाली सभी ट्रेनें रद्द, जबकि बिलासपुर, रायगढ़, बस्तर और कांकेर जैसे जिलों में हवाएं 60 किमी/घंटे तक पहुंच गईं। यह तूफान ने बस ट्रेनों को ही नहीं रोका — यह भारत के दक्षिण-पूर्वी इलाकों की जनजीवन की धड़कन को भी रोक दिया।

तूफान का सफर: आंध्र प्रदेश से छत्तीसगढ़ तक

चक्रवाती तूफान 'मोंथा' मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को शाम 7 बजे आंध्र प्रदेश के तट पर लैंडफॉल किया। इसका केंद्र मचिलपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच से गुजरा, जहां 90 किमी/घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, तूफान ने अपनी तीव्रता बनाए रखते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर 10 किमी/घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ना शुरू कर दिया। बुधवार तड़के, यह नरसापुर के 20 किमी दूर पहुंच चुका था — और फिर छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों में घुस गया।

रेल नेटवर्क ठप, किसानों का दर्द

वाल्टेयर लाइन पर चलने वाली ट्रेनों को रद्द करने का फैसला केवल एक सावधानी नहीं था — यह जानबूझकर लिया गया था। इस लाइन के अधिकांश हिस्से वनों और पहाड़ियों के बीच से गुजरते हैं। तेज हवाओं और बारिश से पेड़ गिर सकते हैं, रेल लाइनें बह सकती हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, "हम एक दुर्घटना का इंतजार नहीं कर सकते।" इसी वजह से अब लाखों यात्री अटक गए हैं।

लेकिन असली त्रासदी किसानों की है। जशपुर, पत्थलगांव, फरसाबहार में खड़ी धान की फसल भीग रही है। जो फसल कट चुकी थी, वो खलिहानों में नमी से सड़ने लगी है। "अगर अगले 24 घंटे में बारिश बंद नहीं हुई, तो हमारी सारी कमाई बर्बाद हो जाएगी," — यह शब्द किसान रामकिशन ने बताए, जिनकी दो एकड़ जमीन पर तैयार टमाटर की फसल बारिश में डूब रही है। कई किसानों ने तिरपाल, पॉलीथिन और चारपाई से फसल को ढक दिया है। लेकिन यह सब एक तात्कालिक उपाय है।

बचाव और राहत: ODRAF और NDRF की टीमें सक्रिय

बचाव और राहत: ODRAF और NDRF की टीमें सक्रिय

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बताया कि अब तक 11,396 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ODRAF) की 30 टीमें और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 5 टीमें तैनात हैं। राहत कार्यों में तेजी लाई गई है — खाने, पानी, दवाएं और बिजली के साधन जल्दी से जारी किए जा रहे हैं।

लेकिन छत्तीसगढ़ में राहत कार्य अभी शुरू हुए हैं। बिलासपुर और रायपुर में रातोंरात बारिश के कारण कई गांवों में सड़कें बह गईं। जिला प्रशासन ने अस्पतालों को अलर्ट पर रखा है। बच्चों के लिए स्कूल बंद हैं। कुछ इलाकों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है।

मौसम विशेषज्ञ का अनुमान: अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण

एयर वाइस मार्शल जी.प. शर्मा (Retd.), जो अब स्काईमेट में मौसम विज्ञान के अध्यक्ष हैं, बताते हैं — "मोंथा अब कमजोर हो रहा है, लेकिन यह अभी भी खतरनाक है। अगर यह अगले 48 घंटे में अचानक तेज हो जाए, तो उत्तर प्रदेश और बिहार तक प्रभावित हो सकता है।" उनका अनुमान है कि तूफान का केंद्र अगले 24 घंटे में सरगुजा और रायपुर के बीच रुक सकता है।

इसका मतलब है — जो अब बारिश हो रही है, वह अगले दिन और भी ज्यादा हो सकती है। जिला प्रशासन ने अब तक 17 जिलों में अलर्ट जारी किया है। अगर बारिश लगातार जारी रही, तो नदियां बाढ़ के रूप में निकल सकती हैं। बिलासपुर और रायगढ़ में नदियों का स्तर पहले से ही 30% बढ़ चुका है।

क्या होगा अगले कदम?

क्या होगा अगले कदम?

अगले 48 घंटे तय करेंगे कि यह तूफान सिर्फ एक बड़ी बारिश रह जाएगा या एक बड़ी आपदा। रेलवे ने बताया है कि ट्रेनों की सेवा तभी शुरू होगी जब रेल लाइनें सुरक्षित होंगी। किसानों के लिए अब बचाव के लिए सरकारी योजनाएं जरूरी हैं — बीज, खाद और भंडारण के लिए त्वरित सहायता। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक के तूफानों की तुलना में 'मोंथा' अधिक आर्द्रता लेकर आया है। क्या यह जलवायु परिवर्तन का एक और संकेत है? जवाब अभी नहीं मिला है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

वाल्टेयर लाइन पर कितनी ट्रेनें रद्द हुईं?

रेलवे ने वाल्टेयर लाइन और इससे जुड़े 14 मार्गों पर चलने वाली 52 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इनमें शामिल हैं रायपुर-बिलासपुर-जशपुर, बिलासपुर-नवरातन और रायगढ़-बस्तर एक्सप्रेस। यात्रियों को अगले 48 घंटे तक नए शेड्यूल की प्रतीक्षा करनी होगी।

किसानों को क्या नुकसान हुआ है?

जशपुर, बस्तर और रायगढ़ में लगभग 12,000 एकड़ धान और टमाटर की फसलें भीग चुकी हैं। अगर फसल 72 घंटे तक नमी में रही, तो उसका 40-60% हिस्सा बर्बाद हो सकता है। यह लगभग 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। सरकार ने अभी तक बीज वितरण की योजना नहीं बनाई है।

क्या चक्रवात उत्तर प्रदेश तक पहुंच सकता है?

हां, यह संभव है। यदि 'मोंथा' अगले 24 घंटे में अपनी ऊर्जा बरकरार रखता है, तो यह छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्सों से होकर उत्तर प्रदेश के अंतर्गत बिल्हौर और गोरखपुर तक पहुंच सकता है। IMD के अनुसार, इसके लिए वर्षा की मात्रा बढ़ना जरूरी है — जो अभी तक नहीं हुआ है।

ओडिशा में आपदा प्रबंधन कैसे काम किया?

ओडिशा ने तूफान से 72 घंटे पहले ही निकासी शुरू कर दी। ODRAF की टीमों ने 42 अस्थायी शिफ्टिंग सेंटर खोले, जहां 1.2 लाख लोगों को आश्रय मिला। राज्य सरकार ने सभी टीवी चैनलों पर रोजाना अपडेट दिए। इस तरह से मौतों की संख्या केवल 7 रही — जो पिछले दशक के तूफानों की तुलना में अत्यंत कम है।

मौसम विभाग ने क्या चेतावनी जारी की है?

IMD ने बुधवार और गुरुवार के लिए छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में 'लाल चेतावनी' जारी की है। वर्षा 100-150 मिमी तक हो सकती है, और हवाएं 60-70 किमी/घंटे तक पहुंच सकती हैं। जनता को घरों से बाहर निकलने से रोका गया है। रेल और सड़क यातायात अभी भी रुका हुआ है।

क्या यह तूफान भविष्य में और भी तेज होगा?

वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी का पानी अब और गर्म हो रहा है — जिससे तूफानों की तीव्रता बढ़ रही है। 'मोंथा' एक औसत तूफान नहीं, बल्कि एक बढ़ती रुझान का हिस्सा है। अगले 10 वर्षों में ऐसे तूफानों की आवृत्ति दोगुनी हो सकती है।

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10 टिप्पणि

Sutirtha Bagchi
Sutirtha Bagchi नवंबर 1, 2025 AT 13:38

ये तूफान तो बस बारिश नहीं है, ये तो सरकार की नाकामी का पर्दाफाश है! 😤 फसलें बर्बाद हो रही हैं और अभी तक कोई बीज वितरण नहीं? बस चेतावनी देकर चुप रहना काफी नहीं है! 🤬

vikram yadav
vikram yadav नवंबर 1, 2025 AT 18:00

ओडिशा ने जो किया, वो सबक है। वहां 72 घंटे पहले से शिफ्टिंग सेंटर खोले गए, रेडियो, टीवी, वॉट्सएप तक से अपडेट दिए गए। हमारे यहां? बस चेतावनी और फिर चुप्पी। अगर हम ओडिशा की तरह तैयार होते, तो आज ये सब नहीं होता। ये बस आपदा नहीं, ये नजरअंदाज़ी का नतीजा है।

Tamanna Tanni
Tamanna Tanni नवंबर 2, 2025 AT 19:59

किसानों की फसलें बचाने के लिए तिरपाल और चारपाई से ढकना तो बहुत दिल दहला देने वाला है। ये लोग अपनी जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं, और हम सिर्फ बातें कर रहे हैं। कृपया, कोई तो उनके लिए कुछ करे। 🙏

Rosy Forte
Rosy Forte नवंबर 4, 2025 AT 04:30

मोंथा एक जलवायु-अधिकार का अभियान है। यह न केवल एक तूफान है, बल्कि एक अनौपचारिक न्यायालय है जो भारतीय राजनीति की अक्षमता के खिलाफ अपना फैसला सुना रहा है। जिस देश में ट्रेनों को रोकना पड़ रहा है, उस देश में आत्म-सम्मान भी रुक गया है। हम जलवायु अनुकूलन नहीं, बल्कि जलवायु-अपराधियों के खिलाफ लड़ रहे हैं। और यह लड़ाई अभी शुरू हुई है।

Yogesh Dhakne
Yogesh Dhakne नवंबर 4, 2025 AT 13:04

मैं बिलासपुर से हूँ। आज सुबह रेलवे स्टेशन पर 3000+ यात्री थे। कोई भी जानकारी नहीं, न कोई वॉटर बोतल, न कोई बिस्किट। बस एक अधिकारी बोला, 'कल तक बता देंगे'। अरे भाई, ये तो बच्चों को भी नहीं बोलते। 😔

kuldeep pandey
kuldeep pandey नवंबर 4, 2025 AT 13:30

फसल बर्बाद? किसानों ने तो अपने बच्चों को शहर भेज दिया होगा। ये सब तो बस एक नाटक है। सरकार को बर्बादी का बजट चाहिए, ताकि वो अपने घरों के लिए नया बाहरी निर्माण कर सके। बारिश हो रही है, तो फिर क्या? बारिश तो हर साल होती है।

Hannah John
Hannah John नवंबर 4, 2025 AT 20:23

ये तूफान असल में CERN का एक ट्रायल है। वैज्ञानिक बंगाल की खाड़ी में जलवायु बदलने के लिए एक गुप्त उपकरण चला रहे हैं। आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन ये सब जलवायु शस्त्र हैं। ओडिशा के लोग इसके बारे में जानते हैं, लेकिन चुप हैं। क्यों? क्योंकि वो भी उनके नियंत्रण में हैं। 🌀

dhananjay pagere
dhananjay pagere नवंबर 5, 2025 AT 15:44

मैंने रेलवे के अधिकारी से बात की। उन्होंने कहा, 'हमारे पास 70% बारिश के लिए बारिश के लिए ड्रेनेज सिस्टम नहीं है'। और फिर भी, हम ट्रेन चलाने की कोशिश कर रहे हैं? 🤡 ये तो जानबूझकर दुर्घटना की तैयारी है।

Shrikant Kakhandaki
Shrikant Kakhandaki नवंबर 6, 2025 AT 07:41

ये तूफान असल में एक बड़ा राजनीतिक अभियान है जिसे सरकार ने चुनाव से पहले शुरू किया है। फसल बर्बाद हो रही है? बिल्कुल सही। लेकिन ये बर्बादी आपको अपने वोट देने के लिए मजबूर कर रही है। देखो ना, अभी तक कोई नेता यहां नहीं आया। ये सब एक बड़ा धोखा है।

bharat varu
bharat varu नवंबर 7, 2025 AT 22:33

अगर हम सब मिलकर एक अभियान शुरू करें-फसल बचाने के लिए तिरपाल, बीज, और जल के लिए एक लोकल फंड-तो क्या होगा? ये नहीं कि सरकार ने कुछ नहीं किया, बल्कि हमने खुद कुछ नहीं किया। आज से ही शुरू करो। एक गांव, एक घर, एक फसल। हम इसे बचा सकते हैं। 💪

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