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तूफान का सफर: आंध्र प्रदेश से छत्तीसगढ़ तक
चक्रवाती तूफान 'मोंथा' मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को शाम 7 बजे आंध्र प्रदेश के तट पर लैंडफॉल किया। इसका केंद्र मचिलपट्टनम और कालिंगपट्टनम के बीच से गुजरा, जहां 90 किमी/घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, तूफान ने अपनी तीव्रता बनाए रखते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर 10 किमी/घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ना शुरू कर दिया। बुधवार तड़के, यह नरसापुर के 20 किमी दूर पहुंच चुका था — और फिर छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्सों में घुस गया।
रेल नेटवर्क ठप, किसानों का दर्द
वाल्टेयर लाइन पर चलने वाली ट्रेनों को रद्द करने का फैसला केवल एक सावधानी नहीं था — यह जानबूझकर लिया गया था। इस लाइन के अधिकांश हिस्से वनों और पहाड़ियों के बीच से गुजरते हैं। तेज हवाओं और बारिश से पेड़ गिर सकते हैं, रेल लाइनें बह सकती हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, "हम एक दुर्घटना का इंतजार नहीं कर सकते।" इसी वजह से अब लाखों यात्री अटक गए हैं।
लेकिन असली त्रासदी किसानों की है। जशपुर, पत्थलगांव, फरसाबहार में खड़ी धान की फसल भीग रही है। जो फसल कट चुकी थी, वो खलिहानों में नमी से सड़ने लगी है। "अगर अगले 24 घंटे में बारिश बंद नहीं हुई, तो हमारी सारी कमाई बर्बाद हो जाएगी," — यह शब्द किसान रामकिशन ने बताए, जिनकी दो एकड़ जमीन पर तैयार टमाटर की फसल बारिश में डूब रही है। कई किसानों ने तिरपाल, पॉलीथिन और चारपाई से फसल को ढक दिया है। लेकिन यह सब एक तात्कालिक उपाय है।
 
बचाव और राहत: ODRAF और NDRF की टीमें सक्रिय
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बताया कि अब तक 11,396 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ODRAF) की 30 टीमें और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 5 टीमें तैनात हैं। राहत कार्यों में तेजी लाई गई है — खाने, पानी, दवाएं और बिजली के साधन जल्दी से जारी किए जा रहे हैं।
लेकिन छत्तीसगढ़ में राहत कार्य अभी शुरू हुए हैं। बिलासपुर और रायपुर में रातोंरात बारिश के कारण कई गांवों में सड़कें बह गईं। जिला प्रशासन ने अस्पतालों को अलर्ट पर रखा है। बच्चों के लिए स्कूल बंद हैं। कुछ इलाकों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है।
मौसम विशेषज्ञ का अनुमान: अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण
एयर वाइस मार्शल जी.प. शर्मा (Retd.), जो अब स्काईमेट में मौसम विज्ञान के अध्यक्ष हैं, बताते हैं — "मोंथा अब कमजोर हो रहा है, लेकिन यह अभी भी खतरनाक है। अगर यह अगले 48 घंटे में अचानक तेज हो जाए, तो उत्तर प्रदेश और बिहार तक प्रभावित हो सकता है।" उनका अनुमान है कि तूफान का केंद्र अगले 24 घंटे में सरगुजा और रायपुर के बीच रुक सकता है।
इसका मतलब है — जो अब बारिश हो रही है, वह अगले दिन और भी ज्यादा हो सकती है। जिला प्रशासन ने अब तक 17 जिलों में अलर्ट जारी किया है। अगर बारिश लगातार जारी रही, तो नदियां बाढ़ के रूप में निकल सकती हैं। बिलासपुर और रायगढ़ में नदियों का स्तर पहले से ही 30% बढ़ चुका है।
 
क्या होगा अगले कदम?
अगले 48 घंटे तय करेंगे कि यह तूफान सिर्फ एक बड़ी बारिश रह जाएगा या एक बड़ी आपदा। रेलवे ने बताया है कि ट्रेनों की सेवा तभी शुरू होगी जब रेल लाइनें सुरक्षित होंगी। किसानों के लिए अब बचाव के लिए सरकारी योजनाएं जरूरी हैं — बीज, खाद और भंडारण के लिए त्वरित सहायता। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक के तूफानों की तुलना में 'मोंथा' अधिक आर्द्रता लेकर आया है। क्या यह जलवायु परिवर्तन का एक और संकेत है? जवाब अभी नहीं मिला है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वाल्टेयर लाइन पर कितनी ट्रेनें रद्द हुईं?
रेलवे ने वाल्टेयर लाइन और इससे जुड़े 14 मार्गों पर चलने वाली 52 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इनमें शामिल हैं रायपुर-बिलासपुर-जशपुर, बिलासपुर-नवरातन और रायगढ़-बस्तर एक्सप्रेस। यात्रियों को अगले 48 घंटे तक नए शेड्यूल की प्रतीक्षा करनी होगी।
किसानों को क्या नुकसान हुआ है?
जशपुर, बस्तर और रायगढ़ में लगभग 12,000 एकड़ धान और टमाटर की फसलें भीग चुकी हैं। अगर फसल 72 घंटे तक नमी में रही, तो उसका 40-60% हिस्सा बर्बाद हो सकता है। यह लगभग 2,300 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। सरकार ने अभी तक बीज वितरण की योजना नहीं बनाई है।
क्या चक्रवात उत्तर प्रदेश तक पहुंच सकता है?
हां, यह संभव है। यदि 'मोंथा' अगले 24 घंटे में अपनी ऊर्जा बरकरार रखता है, तो यह छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्सों से होकर उत्तर प्रदेश के अंतर्गत बिल्हौर और गोरखपुर तक पहुंच सकता है। IMD के अनुसार, इसके लिए वर्षा की मात्रा बढ़ना जरूरी है — जो अभी तक नहीं हुआ है।
ओडिशा में आपदा प्रबंधन कैसे काम किया?
ओडिशा ने तूफान से 72 घंटे पहले ही निकासी शुरू कर दी। ODRAF की टीमों ने 42 अस्थायी शिफ्टिंग सेंटर खोले, जहां 1.2 लाख लोगों को आश्रय मिला। राज्य सरकार ने सभी टीवी चैनलों पर रोजाना अपडेट दिए। इस तरह से मौतों की संख्या केवल 7 रही — जो पिछले दशक के तूफानों की तुलना में अत्यंत कम है।
मौसम विभाग ने क्या चेतावनी जारी की है?
IMD ने बुधवार और गुरुवार के लिए छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में 'लाल चेतावनी' जारी की है। वर्षा 100-150 मिमी तक हो सकती है, और हवाएं 60-70 किमी/घंटे तक पहुंच सकती हैं। जनता को घरों से बाहर निकलने से रोका गया है। रेल और सड़क यातायात अभी भी रुका हुआ है।
क्या यह तूफान भविष्य में और भी तेज होगा?
वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी का पानी अब और गर्म हो रहा है — जिससे तूफानों की तीव्रता बढ़ रही है। 'मोंथा' एक औसत तूफान नहीं, बल्कि एक बढ़ती रुझान का हिस्सा है। अगले 10 वर्षों में ऐसे तूफानों की आवृत्ति दोगुनी हो सकती है।
 
                            