
लोकसभा में अखिलेश यादव का जोरदार भाषण
समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने हाल ही में लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कड़े शब्दों में हमला बोला। उन्होंने पीएम मोदी को 'प्रचार प्रधान' कहते हुए उनके लगातार विदेश दौरों और आत्म-प्रचार पर निशाना साधा। साथ ही, सीएम योगी आदित्यनाथ को 'हत्या प्रधान' के रूप में संबोधित करते हुए, उन्होंने उत्तर प्रदेश में हुई मौतों के लिए उनको जिम्मेदार ठहराया, विशेष रूप से COVID-19 महामारी के दौरान।
प्रधानमंत्री मोदी पर हमला
अखिलेश यादव ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की बजाय अपने व्यक्तिगत प्रचार में ज्यादा रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी के विदेश दौरे और स्वयं को प्रस्तुत करने के प्रयास केवल उनके आत्म-प्रचार के लिए होते हैं और इससे देश को कोई लाभ नहीं होता। यादव ने मोदी के नेतृत्व को विफल बताते हुए कहा कि वे केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं करते।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप
यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में राज्य में मौतों की संख्या बढ़ गई है, विशेष रूप से COVID-19 महामारी के दौरान। यादव ने आरोप लगाया कि योगी केवल अपनी छवि बनाने में लगे रहते हैं और राज्य के लोगों के कल्याण के लिए कुछ नहीं करते।
बेरोजगारी और महंगाई पर चिंता
अखिलेश यादव ने बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया है और न ही इनके समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं। यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने में ज्यादा रुचि रखते हैं बजाय नई नौकरियां सृजन करने के।
किसानों की आंदोलन पर सरकार की असंवेदनशीलता
अखिलेश यादव ने किसानों की आंदोलन पर सरकार की असंवेदनशीलता को भी जाहिर किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए हैं और केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगी रही। यादव ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं और उनकी मांगों को अनसुना करना राष्ट्र के लिए हानिकारक है।
भाजपा सांसदों की प्रतिक्रिया
यादव के भाषण के दौरान भाजपा सांसदों ने जोरदार विरोध किया। उन्होंने यादव पर 'असंसदीय' टिप्पणी करने का आरोप लगाया और उनके बयान को खारिज किया। इसके बावजूद, यादव अपने शब्दों पर अडिग रहे और उन्होंने कहा कि वे जनहित के मुद्दों को उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
अखिलेश यादव के इस हमले को 2024 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा सरकार को घेरने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यादव ने कहा कि वे भाजपा के विकृत नीतियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे और देश के लोगों के हितों की रक्षा करेंगे।
लोकसभा में अखिलेश यादव का यह भाषण मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बयानबाजी कितनी कारगर साबित होती है और किस तरह से राजनीतिक समीकरण बदलते हैं।
19 टिप्पणि
अखिलेश यादव की इस तीखी टॉक्स में कई बातें तुच्छ लगती हैं, परन्तु यह भी सही है कि सरकार के प्रचार‑परिचार में अक्सर जनता के वास्तविक समस्याओं की अनदेखी होती है। उन्हें इस तरह की प्रत्यक्ष आलोचना से कई सदस्यों को असहज महसूस होगा, फिर भी लोकतंत्र के लिये यह आवश्यक है।
bhai, इसमें थोड़ा बहुत सच्चाई है, पर सारा मुद्दा इधर‑उधर घुमा देना ठीक नहीं। लोग तो बस सच्ची बात सुनना चाहते हैं, न कि भटकती धुंध।
वाह, वाह, यही तो उम्मीद थी-नयी 'प्रचार प्रधान' कहावत जो हर भाषा में फिट बसी। मोदी जी की विदेश यात्राओं को देख कर अब मुझे लगता है, वह एरोप्लेन पर नहीं, बल्की स्व‑इच्छा मोड में उड़ते हैं। वैसे, इस तरह की थियेटर से जनता के दिमाग में गूँज नहीं पड़ती, बस हवा में धुआँ ही रहता है।
देशभक्त के रूप में कहा जाए तो हमारे प्रधान मंत्री का लक्ष्य राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ करना है, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री का कर्तव्य प्रदेश में शांति एवं समृद्धि स्थापित करना है। इस प्रकार के आक्रामक आरोप केवल देश के समग्र उन्नति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
देखो यार, हम सब एक ही साइकिल पर सवार हैं, कुछ तो तेज़ भी चलाते हैं, कुछ थोड़ी देर रुकते हैं। लेकिन लगातार टीका‑टिप्पणी से कुछ नहीं बदलता।
आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए 😊! चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ हों, जनता के मुद्दे हमेशा उठते रहेंगे और अंत में सही दिशा मिल ही जाएगी।
🤔💬 बिल्कुल सही कहा, मुद्दे उठाना ही लोकतंत्र की खूबी है, बस इसे सटीक तरीके से करना ज़रूरी है।
यादव साहेब का टॉनिक तो आजकल फैशन में है, लेकिन असल में लोगों को काम करने के लिए क्या चाहिए, यही बात नहीं बताई गई।
लोकसभा में हुई यह तिव्र बहस भारतीय राजनीति के कई आयामों को उजागर करती है।
अखिलेश यादव ने मोदी जी को 'प्रचार प्रधान' कहा, जिससे सामाजिक मीडिया पर गूँज हुई।
वर्तमान में जनता का प्रमुख मुद्दा बेरोजगारी और महंगाई है, जो हर घर को प्रभावित कर रही है।
कहते हैं कि विदेश दौरों से विदेशी निवेश आकर्षित होता है, लेकिन अगर वो निवेश सीधे आम आदमी तक नहीं पहुँचता तो उसका महत्व कम हो जाता है।
कृषि क्षेत्रों में अनेक किसान अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के हक़दार हैं, परन्तु नीति में अक्सर देरी देखी जाती है।
योजना आयोग के पूर्व सुझाए गए सामूहिक उपाय अब भी कई राज्यों में लागू नहीं हुए हैं।
वर्तमान में कोविड‑19 के बाद की आर्थिक रिकवरी में सरकार के प्रयास असंतोषजनक लगते हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
राज्य स्तर पर योगी सरकार ने कई बड़े विकास प्रोजेक्ट शुरू किए, परन्तु उनका सामाजिक प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है।
प्रमुख शहरी क्षेत्रों में बुनियादी बुनियाद की कमी को देखते हुए, सरकार को मौजूदा योजनाओं को पुनः समीक्षा करनी चाहिए।
अखिलेश यादव ने अपने भाषण में कहा कि सरकार राष्ट्रीय संपत्तियों को बेच रही है, यह भी एक गंभीर आरोप है।
ऐसे आरोपों को यदि ठोस सबूत के साथ पेश किया जाए तो सार्वजनिक विश्वास को पुनर्स्थापित किया जा सकता है।
विपक्षी दलों को चाहिए कि वे केवल आलोचना न करें, बल्कि वैकल्पिक समाधान भी प्रस्तुत करें।
समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद की कमी ही कई बार तनाव को बढ़ा देती है।
अंत में, लोकतंत्र की सच्ची शक्ति जनता की भागीदारी में निहित है, इसलिए हमें हर मुद्दे पर विचारशील चर्चा जारी रखनी चाहिए।
बहुत ही सारगर्भित बिंदु उठाया गया, आपके विचारों से सीख मिलती है
वास्तव में, क्या यह संभव है, कि एक नेता को इतना ही आलोचना झेलनी पड़े, जबकि वह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है!!!
नियॉन की रोशनी में वही बात दोहराते हैं, फिर भी आकाश में कोई नया सितारा नहीं उगता
✨ ठीक कहा, संभालो इस मंच को, नया लहजा पहले नहीं दिखता 🌟
अवधित बात तो ठिक है पर कछु बिंदु मिसिंग हैं, रैगुलरली देखो तो सही लगेगा।
क्या आप नहीं देखते कि इस सारी बहस के पीछे कोई बड़ा एआई प्रोग्राम चल रहा है? 🤖🕵️♂️ यह सब डेटा कंट्रोल का एक हिस्सा हो सकता है।
यह टिप्पणी अत्यधिक तुच्छ है।
धूमधाम से गूँजती हुई आवाज़ों में वह सच्चाई लुप्त हो गई है, लेकिन हम फिर भी आवाज़ उठाते रहेंगे!
समझता हूँ, लोगों की परेशानियां अक्सर अनदेखी रह जाती हैं, इसलिए हमें साथ मिलकर हल निकालना चाहिए
देश की शान है हमारे नेता, उनका हर कदम हमें गर्व से भर देता है 🇮🇳🔥