सऊदी अरब और कुवैत में भारतीय श्रमिकों के स्थान पर स्थानीय कर्मियों की नियुक्ति की योजना

सऊदी अरब और कुवैत में भारतीय श्रमिकों के स्थान पर स्थानीय कर्मियों की नियुक्ति की योजना
13 नवंबर 2024 Anand Prabhu

सऊदी अरब और कुवैत में भारतीय श्रमिकों के लिए चुनौतीपूर्ण भविष्य

एक नए अध्ययन के मुताबिक, सऊदी अरब और कुवैत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जो भारतीय प्रवासी श्रमिकों के साथ-साथ अन्य देशों के श्रमिकों के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है। 'स्ट्रक्चरल चेंज एंड इकोनॉमिक डायनामिक्स' नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध अध्ययन के अनुसार, खाड़ी देशों ने स्थानीय कर्मियों को प्राथमिकता देते हुए प्रशिक्षित और अर्द्ध-कुशल नौकरियों में बदलाव करने की योजना बनाई है। इससे भारतीय और अन्य प्रवासी श्रमिकों के रोजगार पर प्रभाव पड़ सकता है।

यह अध्ययन, अब्दुल ए. इरुम्बन और अब्बास अल-मेजरेन द्वारा तैयार किया गया था। इसमें यह बताया गया है कि इन देशों का स्थानीय कार्यबल धीरे-धीरे सक्षम हो रहा है, और इससे भविष्य में उच्च कौशल वाली नौकरियों में प्रवासियों के स्थान पर स्थानीय निवासियों की नियुक्ति करना संभव हो सकता है। यह बदलाव तब तक नहीं होगा जब तक कि स्वचालन की पहल पूरी तरह से लागू नहीं होती।

आर्थिक प्रभाव और प्रवासी श्रमिकों की भूमिका

खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था में प्रवासी श्रमिक एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शोध में उल्लेख किया गया है कि ये श्रमिक आमतौर पर कम वेतन पर कार्य करते हैं, जो कि नीतिगत विकृतियों के कारण होता है। इसके बावजूद, प्रवासी श्रमिकों की उत्पादकता स्थानीय निवासियों की तुलना में अधिक होती है। यह स्थिति कंपनियों को प्रवासी श्रमिकों को स्थानीय कर्मियों से प्रतिस्थापित करने में बाधा डालती है, क्योंकि प्रवासी श्रमिकों की श्रम लागत स्थानीय कर्मियों की तुलना में कम होती है।

हालांकि, खाड़ी देशों में प्रवासी श्रमिकों का स्थानांतरण धीमी गति से हो सकता है, क्योंकि बड़ी और जटिल परियोजनाएं बिना उनके पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ये परियोजनाएं खाड़ी देशों की रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा हैं, और इसमें कई प्रवासी श्रमिकों की भूमिका मुख्य होती है।

भारत के लिए संभावनाएँ और रास्ते

इस बदलाव का भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण संदेश है। भारत को अपनी श्रम शक्ति के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विविधीकरण करने की जरूरत है। साथ ही, घरेलू नौकरी बाजार को मजबूत बनाना भी आवश्यक हो जाता है ताकि संभावित बदलावों का सामना किया जा सके। तकनीकि उन्नयन और घरेलू निवेश, देश के लिए अवधारणात्मक रणनीति बन सकता है।

डॉ. इरुम्बन के अनुसार, खाड़ी देशों में प्रस्तावित स्थानांतरण नीतियां भारतीय श्रमिकों को मध्यम और दीर्घकालिक जोखिम की स्थिति प्रदान करती हैं। इसलिए, भारत को अपने श्रमिकों के लिए अन्य देशों में रोजगार के अवसरों का विस्तार करना चाहिए।

समाज और रोजगार पर असर

इस बदलाव का समाज और रोजगार के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रभाव पड़ सकता है। प्रवासी श्रमिकों के वापस लौटने से उनकी ज़िंदगी और समाज संबंधी ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। यह उन्हें नए कौशल सीखने और स्वरोजगार की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

खाड़ी देशों में तकनीक और स्वचालन का उदय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बहुत संभव है कि इससे दीर्घावधि में निम्न-स्तरीय नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए, सभी संबंधित पक्षों को चाहिए कि वे समय पर आवश्यक कदम उठाएं।

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8 टिप्पणि

Ashutosh Kumar
Ashutosh Kumar नवंबर 13, 2024 AT 06:21

यह खबर सुनते ही दिल धड़कने लगा।
खाड़ी देशों की नीति बदलना कोई छोटी बात नहीं।
भारतीय श्रमिकों ने सालों से यहाँ अपना बलिदान दिया है।
अब उन्हें अपनी जगह खोने का डर सताने लगा है।
सरकार को इस परिवर्तन को समझदारी से संभालना चाहिए।
नहीं तो लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।
स्वचालन और स्थानीय नियोजन का मिश्रण एक द्वि-धारी तलवार है।
एक ओर यह देश की विकास गति को तेज कर सकता है।
दूसरी ओर यह नौकरियों की कमी का कारण बन सकता है।
इस वजह से कई लोग विदेश लौटने की सोच रहे हैं।
लेकिन लौटकर भी उन्हें अपने देश में काम ढूँढना आसान नहीं होगा।
इसलिए हमें नई स्किल्स सीखने और विविधीकरण पर ध्यान देना चाहिए।
तकनीकी प्रशिक्षण और उद्यमिता को बढ़ावा देना अब ज़रूरी है।
यही समय है जब भारत को अपनी श्रम निर्यात रणनीति को पुनः परिभाषित करना चाहिए।
वरना भविष्य में हम और अधिक सच्ची संकट का सामना करेंगे।

Gurjeet Chhabra
Gurjeet Chhabra नवंबर 13, 2024 AT 07:26

बहुत सच्ची बात है हमें नई दिशा की जरूरत

AMRESH KUMAR
AMRESH KUMAR नवंबर 13, 2024 AT 08:33

देश की शक्ति को देखना चाहिए, विदेशी हाथों से हमारा कोई काम नहीं 😤

ritesh kumar
ritesh kumar नवंबर 13, 2024 AT 09:40

सड़क पर चल रहे ये परिवर्तन न सिर्फ आर्थिक लालच है बल्कि गुप्त एजेंटों की हेरफेर का परिणाम है, जिसमें वैश्विक एल्यूशन स्कीम शामिल है, और डेटा सिलोस के माध्यम से जानकारी को नियंत्रित किया जा रहा है।

Raja Rajan
Raja Rajan नवंबर 13, 2024 AT 11:03

स्थानीय नियोजन का प्रभाव दीर्घकाल में स्थिरता लाएगा।

Atish Gupta
Atish Gupta नवंबर 13, 2024 AT 12:26

भाई साहब, हम सब एक ही जहाज़ में हैं, इस बदलाव को समझदारी से लागू करने के लिए सामरिक संवाद आवश्यक है।

Aanchal Talwar
Aanchal Talwar नवंबर 13, 2024 AT 13:50

मुझे लगता हैकि इस मुद्देपर सबको मिलके बात करनो चाहिये ताकि कोई भी परेशान ना हो।

Neha Shetty
Neha Shetty नवंबर 13, 2024 AT 15:13

वास्तव में, परिवर्तन कभी भी आसान नहीं होता, परन्तु चर्चा और समझदारी से हम बेहतर रास्ता खोज सकते हैं।
यह हमें सामाजिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है कि हम केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों को भी प्राथमिकता दें।
इस प्रकार हम न केवल अपने लोगों को सुरक्षित रखेंगे, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार भी स्थापित करेंगे।

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