9 अगस्त 2024
मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त 2024 को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है। यह जमानत उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली शराब नीति घोटाला मामलों में मिली है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सिसोदिया के शीघ्र न्याय पाने के अधिकार को मान्यता दी। सिसोदिया पिछले 17 महीनों से हिरासत में थे और अभी तक मामलों का ट्रायल शुरू नहीं हुआ था।
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। इसके कुछ दिन बाद, 9 मार्च 2023 को ईडी ने उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 मई को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की एक अवकाश पीठ ने 4 जून को भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उन्हें अंतिम चार्जशीट/अभियोग पत्र दाखिल होने के बाद फिर से जमानत याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और प्रतिक्रिया
अवकाश पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अंतिम चार्जशीट/अभियोग पत्र 3 जुलाई 2024 तक दाखिल करने का आश्वासन लिया था। अभियोजन पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय को पहले ही आश्वस्त किया था कि वह छह से आठ महीनों के भीतर आपराधिक ट्रायल को पूरा करने के लिए कदम उठाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं ने बड़े उल्लास के साथ मनाया। पार्टी के मुख्यालय के बाहर मिठाइयां बांटी गईं और नृत्य किया गया। आप नेताओं में राघव चड्ढा और आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया और इसे सत्य की जीत बताया।
न्याय की प्रक्रिया और निरंतरता
यह मामला न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहा है, बल्कि न्यायपालिका के कामकाज की निरंतरता को भी दर्शाता है। 17 महीने की लंबी हिरासत के बावजूद, सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करना और न्याय सुनिश्चित करना अदालत के प्रति विश्वास को बल देता है। सिसोदिया की गिरफ्तारी और बाद की कानूनी प्रक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि किस प्रकार से एक राजनीतिक नेता को कानूनी दांव-पेंचों का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक अनुभव और सदन में वापसी
मनीष सिसोदिया का राजनीतिक करियर अत्यंत प्रभावशाली रहा है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के रूप में उनके कर्तव्यों ने उन्हें जनता के बीच एक लोकप्रिय नेता बना दिया। उनकी शिक्षा और वित्त मंत्री के पद पर कार्यभार ने दिल्ली की राजनीति में नयी ऊर्जा भरी। उनकी वापसी से दिल्ली की राजनीति में नये समीकरण बनने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। क्या यह निर्णय भविष्य में अन्य राजनीतिक उद्धारणों को प्रभावित करेगा? क्या सिसोदिया की यह जांच और कानूनी लड़ाई एक मिसाल के रूप में देखी जाएगी? यह सब समय के साथ साफ होगा।
महत्वपूर्ण सबक और संदेश
इस पूरे मामले का एक महत्वपूर्ण सबक है कि चाहे राजनीतिक नेता हो या आम नागरिक, न्यायपालिका में समानता का अधिकार सबके लिए है। न्यायिक प्रक्रिया में समय का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह दर्शाता है कि न्याय में देरी होने का मतलब न्याय का अभाव नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि यह बताता है कि न्याय की जीत हमेशा संभव है। यह कहानी अदालत के समक्ष एक लंबी और कठिन यात्रा की है, जिसने अंततः सिसोदिया को न्याय दिलाया।