20 जून 2024
दक्षिण अफ्रीका में सीरिल रामाफोसा ने 19 जून, 2024 को राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। यह समारोह प्रिटोरिया में चीफ जस्टिस रेमंड ज़ोंडो के नेतृत्व में आयोजित किया गया था। रामाफोसा का पुन: चुनाव कई चुनौतियों के बावजूद संभव हुआ, जिनमें सबसे बड़ी चुनौती थी किसी भी पार्टी का स्पष्ट बहुमत न मिलना।
मई में संपन्न हुए चुनावों में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) अपने बहुमत को खोकर सिर्फ 40% वोट ही प्राप्त कर सकी। इसके बाद, एएनसी ने पांच अन्य दलों के साथ गठबंधन करके एक राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने का निर्णय लिया। इस गठबंधन में सबसे प्रमुख है विपक्षी दल डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) जिसने 22% वोट प्राप्त किए। इस गठबंधन को रामाफोसा 'नई युग की शुरुआत' के रूप में देख रहे हैं।
रामाफोसा के शपथ ग्रहण समारोह में कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां भी शामिल हुईं, जिनमें नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टिनुबू, अंगोला के जोआओ लोरेन्सो, कांगो के डेनिस सस्सौ न्गेस्सो, और एस्वाटिनी के राजा म्स्वाती III शामिल थे। इसने समारोह को और भी भव्य बनाया।
रामाफोसा को अब अपनी गठबंधन सरकार के साथ कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होगी—aानिकीय विचारधाराओं के बीच तालमेल बैठाना, विशेषकर एएनसी और डेमोक्रेटिक अलायंस (डा) के बीच। डा संरचनात्मक सुधारों और व्यावहारिक आर्थिक नीतियों के पक्षधर हैं।
मुख्य मसलों में से एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा (एनएचआई) विधेयक है, जिसे रामाफोसा ने चुनाव से ठीक पहले हस्ताक्षरित किया था। डेमोक्रेटिक अलायंस का मनाना है कि यह विधेयक स्वास्थ्य प्रणाली को धवस्त कर सकता है। वहीं, एएनसी के प्रमुख ब्लैक इकोनॉमिक इम्पावरमेंट (बीईई) कार्यक्रम को भी डेमोक्रेटिक अलायंस समाप्त करना चाहती है।
नई गठबंधन सरकार में शामिल अन्य दल हैं: जुलु राष्ट्रवादी इंखाता फ्रीडम पार्टी, एंटी-इमिग्रेशन पैट्रियोटिक अलायंस, और छोटी सेंटर-लेफ्ट गुड पार्टी।
इस नए गठबंधन के कारण निवेशकों ने संतोष जताया है, क्योंकि डेमोक्रेटिक अलायंस के शामिल होने से उम्मीदें जगी हैं कि देश में संरचनात्मक सुधार और व्यावहारिक आर्थिक नीतियों का अनुसरण होगा।
इस गठबंधन ने दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में एक नया अध्याय शरू किया है। सोशल मीडिया पर इस गठबंधन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं रही हैं। कुछ ने इसे राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया, वहीं कुछ ने इसे विचारधारात्मक संघर्षों का नया मोर्चा करार दिया है।
इस मिश्रित विचारधाराओं वाले गठबंधन को एक साथ चलाना रामाफोसा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी। उन्हें यह साबित करना होगा कि दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में नई एकता और समन्वय का नया युग शरू हो चुका है। इसके साथ ही उन्हें देश के विकास और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देनी होगी।