भारत की खराब वायु गुणवत्ता पर ब्रायन जॉनसन ने उठाए सवाल, निकिल कामत का पॉडकास्ट बीच में छोड़ा

भारत की खराब वायु गुणवत्ता पर ब्रायन जॉनसन ने उठाए सवाल, निकिल कामत का पॉडकास्ट बीच में छोड़ा
23 जुलाई 2025 Anand Prabhu

पॉडकास्ट में मास्क और एयर प्यूरीफायर के साथ पहुंचे ब्रायन जॉनसन

अमेरिकन बायोहैकर और एंटी-एजिंग एक्सपर्ट ब्रायन जॉनसन जब भारत पहुंचे, तो शायद उन्हें आपात स्थिति जैसी किसी हवा की उम्मीद नहीं थी। निकिल कामत के पॉडकास्ट में हिस्सा लेने आए जॉनसन खुद एयर प्यूरीफायर लेकर आए थे और मास्क पहनकर आए थे। इंडोर एयर क्वालिटी को लेकर इतने परेशान थे कि रिकॉर्डिंग रूम में दाखिल होने के साथ सभी का ध्यान इसी पर गया। जॉनसन के आने पर रूम का एअर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 130 पहुंच गया, वहीं PM2.5 का स्तर 75 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर हो गया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इतना PM2.5 करीब-करीब 24 घंटे में 3–4 सिगरेट पीने के बराबर होता है।

एयर क्वालिटी को हल्के में नहीं लिया जा सकता, कमरा बंद होने के बावजूद उसकी स्थिति खराब थी। जॉनसन ने बताया कि इंजीनियर्ड एयर सर्कुलेशन की वजह से उनका प्यूरीफायर भी बेअसर हो गया। इसी के चलते जॉनसन को 10 मिनट के अंदर जलन, त्वचा पर रैशेज, और गले में खराश जैसी दिक्कतें महसूस होने लगीं।

जॉनसन का रिएक्शन—नेताओं से नाराजगी और सोशल मीडिया पर डिबेट

रिकॉर्डिंग के बीच में ही जॉनसन उठकर चले गए। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “मुझे समझ नहीं आता भारत के नेता इसे नेशनल इमरजेंसी क्यों नहीं घोषित करते।” जॉनसन के इस रिएक्शन ने इंटरनेट पर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया। एक ओर लोग भारत की वायु गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे थे, वहीं कुछ लोगों ने जॉनसन के बायोहैकिंग और लंबी उम्र के तरीकों को भी आड़े हाथ लिया। डॉक्टर शिखर गंजू समेत कई मेडिकल प्रोफेशनलों ने उनकी ‘लाइफ एक्सटेंशन’ तकनीकों को कूड़ेदान में डालने लायक—‘स्यूडोसाइंटिफिक’ तक कह डाला।

जॉनसन ने हालाँकि यह भी कहा कि पॉडकास्ट होस्ट निकिल कामत ने उन्हें पूरी इज्जत दी, उनकी हेल्थ की गंभीरता को समझा और माहौल नरम रखा। रिकॉर्डिंग अधूरी रही, लेकिन प्रसंग मोदी सरकार और देश की पॉल्यूशन पॉलिसी पर बहस का मुद्दा बन गया।

बहस का दूसरा पहलू भी सामने आया—जॉनसन ने भारत को “जवानों की तरह जिज्ञासु और खुले दिल” वाला बताया और यहाँ की सांस्कृतिक विरासत की तारीफ भी की। मगर, दिल्ली-मुंबई जैसी जगहों पर वायु प्रदूषण को लेकर उनकी आशंका अब फिर चर्चा में है।

  • अमेरिका के मुकाबले भारत में एयर पॉल्यूशन पर आम तौर पर लोग ज्यादा बर्दाश्त कर लेते हैं।
  • पॉडकास्ट जैसे प्लेटफॉर्म से ऐसे मुद्दे अब ग्लोबल लेवल पर सामने आ रहे हैं।
  • सरकारी नीतियों और समाधान की आवश्यकता पर अब विदेशी भी सवाल उठाने लगे हैं।

यह घटना दिखाती है कि स्वास्थ्यमंत्री से लेकर आम नागरिक, सबको देश की हवा के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू करना होगा। जिस तरह से एक विदेशी अपने देश लौटते वक्त भारत की हवा से परेशान हो गया, यह अब सिर्फ लोकल नहीं रहा, एक ग्लोबल समस्या है।

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