18 जुलाई 2024
महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण हलचल के तहत अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक बड़ा झटका लगा है। पिंपरी-चिंचवड़ इकाई के चार वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह नेता अब शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी-एससीपी फ्रैक्शन में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। इस्तीफा देने वाले नेताओं में एनसीपी पिंपरी-चिंचवड़ इकाई के प्रमुख अजित गवहाने, छात्रों के विंग के प्रमुख यश साने, पूर्व नगरसेवक राहुल भोसले और पंकज भालेकर शामिल हैं।
मंगलवार को अजित पवार को अपने इस्तीफे सौंपने के बाद, इन नेताओं ने बुधवार को पुणे में शरद पवार के निवास पर जाकर उनके प्रति अपनी वफादारी को घोषित किया। यह घटनाक्रम एनसीपी के हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद हुआ, जिसमें अजित पवार के खेमे ने मात्र एक सीट जीती थी। अजित गवहाने ने अपने इस्तीफे का कारण एनसीपी के लिए भोसरी विधानसभा सीट की सुरक्षा में अपनी असफलता बताया। गवहाने और अन्य नेता 20 जुलाई को पिंपरी-चिंचवड़ में शरद पवार की उपस्थिति में औपचारिक रूप से एनसीपी-एससीपी में शामिल होने की उम्मीद है।
एनसीपी के प्रवक्ता उमेश पाटिल ने विश्वास जताया है कि अजित गवहाने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे, लेकिन मौजूदा समय में स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस्तीफे की घोषणा करते समय, अजित गवहाने ने अपने सहयोगियों और अनुयायियों के सामने एक भावनात्मक वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने एनसीपी के खेमे में अपने अनुभव और चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन्होंने हमेशा पार्टी और जनता की सेवा की है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में शरद पवार के नेतृत्व में कार्य करना अधिक सही लगा।
महाराष्ट्र की राजनीति पर प्रभाव
यह घटनाक्रम एनसीपी के आंतरिक संघर्षों को उजागर करता है। कई अन्य नेताओं का मानना है कि पार्टी के भीतर के अंतरविरोध और नेतृत्व की विवादित नीतियों के कारण अनेक अच्छे नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में देखना होगा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में और क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
अजित पवार के लिए चुनौती
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को इस बड़े झटके के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस्तीफों का यह सिलसिला उनके नेतृत्व पर एक सवालिया निशान खड़ा कर सकता है। इन इस्तीफों के बाद पार्टी के भीतर अनुशासन और एकजुटता बनाए रखना उनके लिए कठिन हो सकता है। जनता के बीच भी उनकी छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर जब पार्टी पहले से ही संघर्ष कर रही है।
शरद पवार का बढ़ता प्रभाव
दूसरी ओर, शरद पवार की अगुवाई वाले खेमे ने इस स्थितियों का लाभ उठाने का पूरा प्रयास किया है। उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमता और राजनीतिक अनुभव का प्रयोग करके असंतुष्ट नेताओं को अपने खेमे में लाने की कोशिश की है। शरद पवार के प्रति नेता और कार्यकर्ताओं की वफादारी दिखाने की क्षमता इस घटना से साफ झलकती है।
आने वाले चुनावों पर प्रभाव
यह घटनाक्रम आगामी विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकता है। यदि एनसीपी में आंतरिक विभाजन और इस्तीफों का यही सिलसिला जारी रहा, तो पार्टी के हाथों से कई महत्वपूर्ण सीटें निकल सकती हैं। शरद पवार के नेतृत्व वाला खेमे सबसे अधिक लाभ उठा सकता है और इन नए दल-बदलुओं के समर्थन के कारण उसकी स्थिति भी और मजबूत हो सकती है।
अंततः यह देखा जाना बाकी है कि यह राजनीतिक उठापटक एनसीपी और महाराष्ट्र की राजनीति पर किन-किन प्रभावों को छोड़ता है। अजित पवार और शरद पवार के बीच सत्ता संघर्ष में कौन विजयी होगा, यह देखने लायक होगा।